पर्यावरणीय स्थिरता और सार्वजनिक स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केरल भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जो वैज्ञानिक रूप से घरेलू स्तर पर Expired और अनुपयोगी दवाओं का संग्रह और निपटान करेगा। केरल ड्रग्स कंट्रोल विभाग 22 फरवरी 2025 को ‘nPROUD’ (New Programme for Removal of Unused Drugs) पहल को आधिकारिक रूप से लॉन्च करेगा। यह सरकारी परियोजना फार्मास्युटिकल कचरे की बढ़ती समस्या का समाधान करने के लिए शुरू की गई है, जिससे पर्यावरणीय खतरों और स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सके।
अवैज्ञानिक तरीके से Expired और अनुपयोगी दवाओं का निपटान एक गंभीर समस्या है। अधिकांश लोग घरेलू कचरे में दवाओं को फेंक देते हैं या उन्हें नालियों में बहा देते हैं, जिससे मिट्टी और जल स्रोतों में दवा के अंश मिल जाते हैं। इस प्रदूषण से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance – AMR) बढ़ सकता है, जिससे संक्रमणों का इलाज कठिन हो जाता है और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
nPROUD पहल इस समस्या को दूर करने के लिए एक संरचित प्रणाली स्थापित करेगी, जिससे फार्मास्युटिकल कचरे का वैज्ञानिक और सुरक्षित निपटान किया जा सके। यह जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम और नियमों के अनुसार कार्य करेगा, ताकि पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सके।
यह कार्यक्रम पहले कोझिकोड कॉर्पोरेशन और उल्लियरी पंचायत (जिला कोझिकोड) में शुरू किया जाएगा, फिर इसे पूरे राज्य में विस्तारित किया जाएगा। इसका संचालन तीन चरणों में किया जाएगा:
संग्रह की गई दवाओं को केरल एनवायरो इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (KEIL) भेजा जाएगा, जो राज्य और केंद्रीय पर्यावरण प्राधिकरणों द्वारा अनुमोदित एक कचरा उपचार सुविधा है। इस पहल से कानूनी अपशिष्ट प्रबंधन मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा, साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा भी होगी।
nPROUD पहल 2021 में तिरुवनंतपुरम में शुरू किए गए एक पायलट प्रोजेक्ट ‘PROUD’ (Programme on Removal of Unused Drugs) पर आधारित है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत 21 टन अनुपयोगी दवाओं को सफलतापूर्वक एकत्रित और नष्ट किया गया था। इसकी सफलता को देखते हुए, केरल सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया और इसे एक अधिक संरचित और व्यापक रूप में विकसित किया।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने इस परियोजना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अनुपयोगी दवाओं का अनुचित निपटान पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने यह भी बताया कि nPROUD पहल एक स्थायी कचरा प्रबंधन प्रणाली की दिशा में एक सक्रिय कदम है, जिससे दवाओं के कारण होने वाले प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सकेगा।
यह पहल अन्य भारतीय राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल स्थापित करती है, जिससे फार्मास्युटिकल कचरे की समस्या को दूर करने की दिशा में एक राष्ट्रीय नीति बनाने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए, तो केरल का यह प्रयास भारत को सतत स्वास्थ्य देखभाल अपशिष्ट प्रबंधन में वैश्विक अग्रणी बना सकता है।
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