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काटी बिहू 2023: इतिहास, महत्व और उत्सव

काटी बिहू 2023: इतिहास, महत्व और उत्सव |_30.1

असम प्रदेश में बिहू पर्व को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आज यानि 18 अक्टूबर 2023 (Kati Bihu 2023) के दिन यहां काटी बिहू पर्व मनाया जा रहा है। असमिया कैलेंडर के अनुसार यह पर्व काटी मास में मनाया जाता है। इस पर्व को कंगोली बिहू के नाम से भी जाना जाता है।

काटी बिहू 2023 18 अक्टूबर को मनाया जाता है और यह चावल की फसल की वृद्धि और नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह लेख काटी बिहू के इतिहास, परंपराओं और महत्व की पड़ताल करता है।

काटी बिहू पर्व का महत्व

बता दें कि असम में तीन बार बिहू पर्व मनाया जाता है। भोगाली या माघ बिहू जो जनवरी महीने में मनाया जाता है। इसके बाद रोंगाली या बोहाग बिहू अप्रैल मास में और अंत में कोंगाली या काटी बिहू अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। अक्टूबर महीने में मनाया जाने वाले कोंगाली बिहू के पीछे यह कारण है कि रोंगाली बिहू के समय यहां खेतों में अनाज का उत्पादन किया जाता है। काटी बिहू पर्व तक गोदामों में अनाज खत्म होने लगता है और अन्न के आभाव की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में कोंगाली यानि गरीबी को दूर करने के लिए और माघ बिहू के समय तक अच्छा पैदावार हो इसकी कामना करते हुए यह पर्व मनाया जाता है।

 

माता लक्ष्मी की पूजा

काटी बिहू के दिन लोग खासकर किसान अपने खेतों को देखने के लिए जाते हैं। रात के समय तुलसी की पूजा की जाती है और खेत, बगीचा व तुलसी के सामने दीपक जलाया जाता है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है और उनसे अच्छी फसल की कामना की जाती है।

 

काटी बिहू का इतिहास

काटी बिहू एक गंभीर त्योहार है, जो मुख्य रूप से महीने के प्रतिबंधों और पिछले वर्ष की याद पर केंद्रित है। यह असम में बुआई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। खाली अन्न भंडार और बढ़ते धान के खेत इस समय के दौरान कमी का प्रतीक हैं, जिससे इसे “पुअर” या “कोंगाली” उपनाम मिला है।

 

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महाराष्ट्र के प्रसिद्ध नृत्य का क्या नाम है?

महाराष्ट्र का लोकप्रिय लोक नृत्य तमाशा के रूप में जाना जाता है।