उस्ताद गुलाम नबी शाह, जिन्हें प्यार से हमले बुलबुल के नाम से जाना जाता था, कश्मीरी लोक संगीत और संस्कृति के प्रसिद्ध पथप्रदर्शक थे, का 11 जून, 2025 को उनके पैतृक गांव डांगीवाचा रफियाबाद, बारामुल्ला में निधन हो गया। अपनी मधुर आवाज, सारंगी पर असाधारण महारत और कश्मीरी लोक संगीत को संरक्षित करने में योगदान के लिए सम्मानित शाह का निधन कश्मीर के कलात्मक और सांस्कृतिक इतिहास में एक स्वर्णिम युग का अंत है।
क्यों चर्चा में हैं?
प्रसिद्ध कश्मीरी लोक संगीतज्ञ और सांस्कृतिक प्रतीक उस्ताद ग़ुलाम नबी शाह, जिन्हें स्नेहपूर्वक हमले बुलबुल कहा जाता था, का 11 जून 2025 को जम्मू-कश्मीर के डंगीवाचा रफियाबाद (बारामूला) स्थित अपने पैतृक गांव में निधन हो गया। वे कश्मीर की सांस्कृतिक आत्मा और लोक परंपराओं के जीवंत प्रतीक माने जाते थे। उनके निधन को जम्मू-कश्मीर की कलात्मक विरासत के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया गया है।
उस्ताद ग़ुलाम नबी शाह के बारे में:
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हमले बुलबुल उपनाम उन्हें उनकी सुरीली आवाज़ और कश्मीर की सांस्कृतिक आत्मा से गहरे जुड़ाव के कारण मिला।
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जम्मू-कश्मीर के बारामूला ज़िले के डंगीवाचा रफियाबाद से संबंध रखते थे।
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J&K सरकार के सूचना विभाग में तीन दशकों से अधिक समय तक कार्यरत रहे।
संगीत और संस्कृति में योगदान:
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कश्मीरी लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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पारंपरिक लोक कलाओं को बढ़ावा दिया, जैसे:
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बाचा नाग्मा – पारंपरिक कश्मीरी लोक नृत्य
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गिलास नृत्य – सिर पर पानी से भरा गिलास रखकर संतुलन के साथ नृत्य
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सारंगी वादन – कश्मीरी शास्त्रीय वाद्य संगीत का परिचायक
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उन्होंने लोक कलाकारों की नई पीढ़ी को प्रेरित किया और उन्हें कश्मीरी परंपराओं से जोड़कर रखा।
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उनके प्रदर्शन कश्मीर की जीवनशैली और भावनात्मक अनुभवों से गहराई से जुड़े होते थे।
सम्मान एवं पुरस्कार:
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“शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला पुरस्कार” (2011) से सम्मानित – कश्मीरी लोक संगीत में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
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जीवनभर अनेक सांस्कृतिक सम्मानों से सम्मानित हुए, जो उनके संगीत के स्तर और प्रभाव को दर्शाते हैं।
श्रद्धांजलि और विरासत:
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उन्हें “कश्मीरी संगीत का बुलबुल” कहा गया।
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सरकार और कलाजगत के लोगों द्वारा व्यापक रूप से शोक व्यक्त किया गया।
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उनकी स्मृतियाँ और योगदान कश्मीर की लोक परंपरा में अनमोल धरोहर के रूप में जीवित रहेंगे।
निष्कर्ष:
उस्ताद ग़ुलाम नबी शाह का निधन केवल एक कलाकार की विदाई नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उनकी बनाई लोक सांस्कृतिक विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।