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जयदेव उनादकट ने रणजी ट्रॉफी में रचा इतिहास, पहले ओवर में हैट्रिक ली

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सौराष्ट्र की टीम के कप्तान जयदेव उनादकट ने रणजी ट्रॉफी के मुकाबले में इतिहास रच दिया है। दिल्ली के खिलाफ मैदान पर गेंदबाजी करने उतरे जयदेव उनादकट ने मैच के पहले ही ओवर में हैट्रिक लेकर इतिहास रच दिया है। उनादकट ने पहले ही ओवर में तीन विकेट झटक कर दिल्ली की टीम को मजबूत शुरुआत करने से रोक दिया है। वो इस डोमेस्टिक टूर्नामेंट में मैच के पहले ओवर में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बन गए हैं। जयदेव ने दिल्ली के खिलाफ पहली पारी में 12 ओवर में 39 रन देकर 8 विकेट लिए।

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दिल्ली की पहली पारी महज 35 ओवर ही चली। उसने सभी विकेट खोकर 133 रन बनाए। ऋतिक शौकीन ने 90 गेंदों पर 68 रन बनाए। शिवांक वशिष्ठ ने 68 गेंदों पर 38 रन बनाए। सौराष्ट्र की ओर से जयदेव ने 8, चिराग जानी और प्रेरक मांकड़ ने एक-एक विकेट लिया। हाल ही में जयदेव बांग्लादेश दौरे से लौटे हैं। वहां उन्होंने 12 साल बाद टीम इंडिया में वापसी की और टेस्ट करियर का दूसरा मैच खेला। इस मैच में उन्होंने दोनों पारियों को मिलाकर 3 विकेट लिए थे। 31 साल के उनादकट ने 2010 में टेस्ट डेब्यू किया था।

 

इतिहास रचने वाले पहले गेंजबाज बने जयदेव

 

रणजी ट्रॉफी मुकाबले में पहले ही ओवर में हैट्रिक लेने वाले जयदेव उनादकट पहले गेंदबाज बन गए है। बता दें कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहले ओवर में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज भारतीय टीम के इरफान पठान थे। इरफान पठान ने पाकिस्तान के खिलाफ पहले ही ओवर में हैट्रिक ली थी। इरफान ने 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में कमाल कर दिया था। उन्होंने पहले ओवर की चौथी गेंद पर सलमान बट्ट, पांचवीं गेंद पर यूनिस खान और छठी गेंद पर मोहम्मद यूसुफ पठान को आउट किया था।

 

बनाया था एक और रिकॉर्ड

 

बांग्लादेश के खिलाफ 12 साल बाद जयदेव उनादकट ने टेस्ट टीम में हिस्सा लिया था। इससे पहले उनादकट वर्ष 2010 में सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना इकलौता मुकाबला खेल चुके थे। उनादकट ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने भारत के लिए पहले और दूसरे टेस्ट के बीच 118 टेस्ट मुकाबले ना खेलने का रिकॉर्ड बनाया है। पहला मुकाबला खेलने के बाद ये दूसरे मुकाबले के लिए सबसे बड़ा अंतराल है।

 

रणजी ट्रॉफी के बारे में

 

रणजी ट्रॉफी भारत की एक घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता है। रणजी ट्रॉफी में एक घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट चैम्पियनशिप क्षेत्रीय क्रिकेट संघों का प्रतिनिधित्व टीमों के बीच भारत में खेला जाता है। प्रतियोगिता पहली बार 1934-35 में जगह लेने के साथ जुलाई 1934 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की एक बैठक के बाद के रूप में भारत की क्रिकेट चैम्पियनशिप शुरू किया गया था। ट्रॉफी पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा दान किया गया था। प्रतियोगिता के पहले मैच 4 नवंबर 1934 चेपक पर मद्रास और मैसूर के बीच आयोजित किया गया था।

 

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