निसार पृथ्वी अवलोकन उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के कुछ ही दिनों बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अगले भारत-अमेरिका सहयोग मिशन की तैयारी में जुट गया है। इस मिशन के तहत अमेरिका की एएसटी स्पेसमोबाइल (AST SpaceMobile) द्वारा विकसित ब्लॉक-2 ब्लूबर्ड संचार उपग्रह को लॉन्च किया जाएगा। प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान एलवीएम3 (पूर्व में जीएसएलवी-एमके III) के माध्यम से किया जाएगा।
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन के अनुसार, 6,500 किलोग्राम वजनी ब्लूबर्ड संचार उपग्रह के सितंबर 2025 तक भारत पहुंचने की उम्मीद है, और इसका प्रक्षेपण तीन से चार महीनों के भीतर निर्धारित है। यद्यपि विकास संबंधी चुनौतियों के कारण उपग्रह की आपूर्ति में तीन माह की देरी हुई, लेकिन अब मिशन निर्धारित योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है। ब्लूबर्ड उपग्रह भारत की संचार क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगा और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में देश की स्थिति को और मजबूत करेगा।
यह घोषणा 30 जुलाई 2025 को जीएसएलवी-एफ16 के माध्यम से नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद की गई है। निसार एक ऐतिहासिक पृथ्वी अवलोकन परियोजना है, जो अब 90-दिवसीय परीक्षण चरण में प्रवेश कर चुकी है। यह मिशन भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग का एक और मील का पत्थर है।
ब्लूबर्ड परियोजना के साथ ही इसरो अपने महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम की तैयारियों में भी जुटा हुआ है। पहला मानवरहित मिशन दिसंबर 2025 में निर्धारित है, जिसके बाद 2026 में दो और मिशन होंगे। भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 2027 की शुरुआत में प्रक्षेपित किया जाएगा। श्री नारायणन ने बताया कि लॉन्च वाहन की “ह्यूमन-रेटिंग” पूरी हो चुकी है, क्रू एस्केप सिस्टम अंतिम चरण में है और ऑर्बिटल मॉड्यूल का विकास भी तेज़ी से हो रहा है।
भविष्य की ओर देखते हुए इसरो ने एक बार फिर अपनी महत्वाकांक्षी ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ योजना को दोहराया है। 52 टन वजनी यह स्टेशन पांच मॉड्यूल में निर्मित किया जाएगा, जिसमें पहला मॉड्यूल 2028 तक कक्षा में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। पूर्ण स्टेशन 2035 तक पूरी तरह कार्यशील होगा, जिससे भारत शीर्ष अंतरिक्ष शक्तियों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों के संभावित प्रभावों पर चिंता के बीच श्री नारायणन ने भरोसा दिलाया कि भारत के अमेरिकी साझेदारों के साथ तकनीकी अनुबंध बिना किसी बाधा के पूरे किए जाएंगे। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी की मजबूती को रेखांकित किया।
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