इसरो-नासा (ISRO-NASA) संयुक्त मिशन NISER (NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार) उपग्रह, जिसका उद्देश्य उन्नत रडार इमेजिंग (advanced radar imaging) का उपयोग करके भूमि की सतह में परिवर्तन का वैश्विक माप करना है, को 2023 की शुरुआत में लॉन्च करने का प्रस्ताव है। यह एक डुअल-बैंड (dual-band) (एल-बैंड और एस-बैंड) रडार इमेजिंग मिशन है, जिसमें भूमि (land), वनस्पति (vegetation) और क्रायोस्फ़ेयर (cryosphere) में मामूली बदलावों को देखने के लिए ऑपरेशन के पूर्ण पोलारिमेट्रिक (polarimetric) और इंटरफेरोमेट्रिक (interferometric) मोड की क्षमता है।
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नासा (NASA) एल-बैंड एसएआर (L-band SAR) और संबंधित सिस्टम विकसित कर रहा है जबकि इसरो (ISRO) एस-बैंड एसएआर (S-band SAR), अंतरिक्ष यान बस (spacecraft bus), लॉन्च वाहन (launch vehicle) और संबंधित लॉन्च सेवाओं (associated launch services) का विकास कर रहा है। मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्र (changing ecosystems), भूमि और तटीय प्रक्रियाओं (land and coastal processes), भूमि विकृति और क्रायोस्फीयर (land deformations and cryosphere) पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की समझ में सुधार करना है। NISER इसरो और नासा के महत्वपूर्ण सहयोगों में से एक है। 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama’s) की भारत यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका इस मिशन पर सहमत हुए थे।
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