भारत और फ्रांस तीसरे संयुक्त सैटेलाइट मिशन ‘तृष्णा’ पर मिलकर काम कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस ने उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट ‘तृष्णा’ के जरिये पृथ्वी की सतह की निगरानी करेंगे। इससे पहले, इसरो और सीएनईएस ने 2011 में ‘मेघा ट्रॉपिक्स’ और 2013 में ‘सरल अल्तिका’ मिशन को अंजाम दिया है।
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत और फ्रांस द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग मानव अंतरिक्ष उड़ान समेत कई क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं। भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में हाल में जो सुधार करके अवसर पैदा किए हैं, कई फ्रांसीसी कंपनियां उनका इस्तेमाल करना चाहती हैं। फ्रांस अंतरिक्ष में भारत का बड़ा साझीदार है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने कहा है कि यह उपग्रह TRISHNA (तृष्णा) पृथ्वी की सतह के तापमान, उत्सर्जन, जैव-भौतिकीय और विकरण को प्रभावित करने वाले कारकों की निगरानी करेगा। यह मिशन जल और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए है। इससे मानव जनित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और वाष्पोत्सर्जन की निगरानी हो सकेगी और जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
तृष्णा उपग्रह में दो प्राथमिक पे-लोड होंगे। फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी इसके लिए थर्मल इंफ्रा-रेड पे-लोड उपलब्ध कराएगी जिसमें चार चैनल लांग-वेव इंफ्रारेड इमेजिंग सेंसर होंगे। यह उत्सर्जन के साथ सतह के तापमान का हाई-रिजोल्यूशन मापन करने में सक्षम होगा। इसरो विजिबल निकट इंफ्रा-रेड-शार्ट वेव इंफ्रा रेड पे-लोड विकसित करेगा। इसमें सात स्पेक्ट्रल बैंड होंगे जो सतह परावर्तन की व्यापक मैपिंग में सक्षम होंगे।
इसरो का मुख्यालय बेंगलूरु में स्थित है।
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