बीमा क्षेत्र में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने एडलवाइस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी पर ₹1 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कंपनी द्वारा कॉरपोरेट गवर्नेंस दिशानिर्देशों, विशेष रूप से आउटसोर्सिंग मानदंडों और पॉलिसीधारकों के KYC अनुपालन में चूक के चलते लगाया गया है।
क्यों है खबर में?
यह मामला 25 जून 2025 को IRDAI द्वारा पारित आदेश के बाद चर्चा में आया, जिसमें एडलवाइस लाइफ की कई नियामकीय चूक को उजागर किया गया। यह फैसला बीमा उद्योग में कड़ाई से अनुपालन लागू करने की नियामक की मंशा को दर्शाता है।
मुख्य उल्लंघन
आउटसोर्सिंग गवर्नेंस में विफलता
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कंपनी ने आउटसोर्सिंग से जुड़े हितों के टकराव (Conflict of Interest) को ठीक से नहीं संभाला।
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IRDAI के अनुसार:
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बीमा कंपनियों को सेवा प्रदाताओं की जांच और निगरानी करनी होती है।
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सेवा आउटसोर्स करने पर भी पूरी जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होती है।
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पर्याप्त नीतियां, प्रक्रियाएं और नियंत्रण प्रणाली अनिवार्य हैं।
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बैंक विवरण से संबंधित नियमों का उल्लंघन
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कंपनी ने ₹10,000 से अधिक प्रीमियम वाले प्रस्तावों पर पॉलिसीधारकों के बैंक खाते की जानकारी नहीं ली।
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कंपनी ने दलील दी कि बैंक विवरण अनिवार्य नहीं था।
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IRDAI ने इसे खारिज करते हुए कहा कि KYC और उचित प्रकटीकरण के तहत यह अनिवार्य है।
IRDAI ने कंपनी को चेतावनी भी दी है कि भविष्य में इस तरह की चूक को गंभीरता से लिया जाएगा।
पृष्ठभूमि
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IRDAI भारत में बीमा नियामक शीर्ष संस्था है।
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इसका उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा और बीमा क्षेत्र का सुव्यवस्थित विकास सुनिश्चित करना है।
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बीमा कंपनियों को कंपनी अधिनियम 2013 और IRDAI दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
इस कार्रवाई का महत्व
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यह फैसला दर्शाता है कि वित्तीय सेवाओं में कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर अब अधिक सख्ती बरती जा रही है।
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अन्य बीमा कंपनियों के लिए यह सख्त चेतावनी है कि नियामकीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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पॉलिसीधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रिकॉर्ड-कीपिंग और जोखिम प्रबंधन को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
यह कार्रवाई बीमा कंपनियों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि उन्हें नैतिकता, पारदर्शिता और अनुपालन को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, वरना कड़ी कार्रवाई झेलनी पड़ेगी।