इज़राइल ने 13 जून को घोषणा की कि उसने ईरान भर में “दर्जनों परमाणु और सैन्य स्थलों” को निशाना बनाकर हमलों की एक श्रृंखला शुरू की है। यह कदम तेहरान और वाशिंगटन के बीच संवेदनशील कूटनीतिक जुड़ाव के बीच उठाया गया है, जहाँ दोनों पक्ष प्रतिबंधों में राहत के बदले ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर संभावित सीमाओं पर चर्चा कर रहे थे।
यह नाटकीय सैन्य वृद्धि महीनों से बढ़ते तनाव और तेल अवीव से मिली कड़ी चेतावनियों के बाद हुई है। इस साल की शुरुआत में, इजरायली अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर उन्हें लगा कि ईरान के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा आसन्न है, तो वे ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करने में संकोच नहीं करेंगे – भले ही उन्हें अमेरिका का पूरा समर्थन न मिले।
पृष्ठभूमि: बढ़ता तनाव और सैन्य चेतावनी
पिछले कई महीनों से तेल अवीव और तेहरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। इज़राइली अधिकारियों ने पहले ही संकेत दे दिया था कि यदि उन्हें लगा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हथियारों के निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है, तो वे अमेरिकी समर्थन के बिना भी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेंगे।
क्या हुआ?
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13 जून को इज़राइल ने ईरान पर कई हवाई हमले किए।
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तेहरान समेत कई शहरों में विस्फोटों की खबरें आईं।
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इज़राइली सैन्य अधिकारी ने पुष्टि की कि परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया।
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अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने ईरान को चेतावनी दी कि वह अमेरिकी हितों पर प्रतिशोधी हमला न करे।
IAEA की रिपोर्ट: ईरान ने परमाणु समझौते का उल्लंघन किया
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12 जून 2025 को, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की गवर्नर्स बोर्ड ने प्रस्ताव पारित कर बताया कि
“ईरान ने 1974 की निगरानी संधि का उल्लंघन किया है।”
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यह 2006 के बाद पहली औपचारिक चेतावनी थी, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ गई।
क्या ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने की क्षमता है?
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कुछ खुफिया आंकलन के अनुसार, ईरान के पास इतना संवर्धित यूरेनियम है कि वह 5 से 8 परमाणु हथियार बना सकता है — और यह वह कुछ महीनों (या हफ्तों) में कर सकता है।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी प्रमुख तकनीकी जानकारियाँ
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प्राकृतिक यूरेनियम में केवल 0.7% U-235 समस्थानिक होता है, जो परमाणु हथियारों में उपयोग के लिए आवश्यक विखंडनीय (fissile) पदार्थ है।
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शेष 99.3% U-238 होता है, जो हथियार निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होता।
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हथियारों में उपयोग के लिए, यूरेनियम को 90% या उससे अधिक U-235 तक संवर्धित करना पड़ता है। इसे “हथियार-स्तरीय यूरेनियम” (weapons-grade uranium) कहा जाता है।
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यह संवर्धन प्रक्रिया सेंट्रीफ्यूज नामक मशीनों द्वारा की जाती है, जिनकी क्षमता को सेपरेटिव वर्क यूनिट्स (SWUs) में मापा जाता है।
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2006 तक, ईरान ने 3.5% संवर्धन स्तर प्राप्त कर लिया था।
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2010 में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने रिपोर्ट दी कि ईरान ने 19.75% संवर्धन स्तर प्राप्त कर लिया है, पहले नतांज़ ईंधन संवर्धन संयंत्र और बाद में फोर्दो में भी।
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2015 में हुए ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action – JCPOA) के तहत, ईरान ने यह शर्तें मानीं:
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यूरेनियम संवर्धन 3.67% तक सीमित करना,
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सेंट्रीफ्यूज की संख्या में कटौती करना,
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कम संवर्धित यूरेनियम की भंडारण मात्रा 300 किलोग्राम तक सीमित करना,
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बदले में उसे आर्थिक प्रतिबंधों में राहत प्रदान की गई।
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संवर्धन को 3.67% तक सीमित करना,
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सेंट्रीफ्यूज की संख्या में कमी करना,
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कम संवर्धित यूरेनियम (Low-Enriched Uranium) का भंडार 300 किलोग्राम तक सीमित करना,
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इसके बदले में ईरान को प्रतिबंधों से राहत (sanctions relief) दी गई थी।
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ईरान का दावा बनाम पश्चिम की चिंता
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ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांति के उद्देश्य से है — ऊर्जा और चिकित्सा के लिए।
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लेकिन उच्च स्तर के संवर्धन और IAEA के साथ असहयोग ने पश्चिमी देशों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
इज़राइल की परमाणु नीति: अस्पष्ट लेकिन सशक्त
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इज़राइल ने कभी औपचारिक रूप से परमाणु हथियारों की पुष्टि नहीं की, लेकिन वह 1968 के परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य भी नहीं है।
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माना जाता है कि इज़राइल के पास परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें हैं।
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उसका रणनीतिक रुख निरोध (deterrence) पर आधारित है — और एक परमाणु-सशक्त ईरान को वह स्वीकार नहीं कर सकता।
स्थिति का निष्कर्ष
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राजनयिक वार्ता और सैन्य संघर्ष के बीच संतुलन अब तेजी से बिगड़ रहा है।
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आने वाले दिनों में यह देखा जाएगा कि ईरान की प्रतिक्रिया क्या होती है, और क्या यह संकट पूर्ण युद्ध में बदल सकता है।