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International Tiger Day 2024: जानें इस दिन का इतिहास, महत्व और उद्देश्य

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अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है। इसका लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है।

बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने और उसकी विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर बाघ नहीं बचेंगे, तो इससे पूरा पारिस्थितिक तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। बता दें कि बाघों की तेजी से घटती हुई संख्या एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती है। मानवीय गतिविधियों, अवैध व्यापार, शिकार और आवास के नुकसान की वजह से बाघों की कई प्रजातियां विलुप्त होने को हैं।

इस दिन का उद्देश्य

इस खास दिन, पूरी दुनिया में बाघों की कम होती संख्या पर नियंत्रण करना। साथ ही उनके आवासों यानि जंगलों की सुरक्षा करना, साथ ही इसका विकास कर दुनिया को बाघों की घटती संख्या के प्रति जागरूक करना ही इसका उद्देश्य है।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस: महत्व

WWF विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले 100 सालों में दुनिया-भर में लगभग 97 फीसदी जंगली बाघों आबादी घट गई है। एक सदी पहले लगभग 100,000 बाघों की तुलना में वर्तमान में केवल 3,000 बाघ जीवित हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF), इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर (IFAW) और स्मिथसोनियन कंजर्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट (SCBI) सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भी जंगली बाघों के संरक्षण में लगे हुए हैं।

बाघ कितने प्रकार के हैं?

बाघ अलग-अलग रंगों के होते हैं जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ और गोल्डन टाइगर और उन्हें चलते हुए देखना एक अद्भुत नजारा हो सकता है। अब तक बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्त हो चुकी हैं।

वर्ल्ड टाइगर डे का इतिहास

वर्ल्ड टाइगर डे की शुरुआत साल 2010 से हुई जब इसे रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में मान्यता दी गई थी। सभी इस बात से हैरान थे जब एक रिपोर्ट से पता चला कि सभी बाघों में से 97% गायब हो गए है, वैश्विक परिदृश्य में सिर्फ 3,900 बाघ ही जीवित हैं।

भारत में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत

भारत सरकार ने साल 1973 में बाघों को संरक्षण प्रदान करने के मकसद से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी। इस प्रोजेक्ट के तहत कई सारे टाइगर रिजर्व स्थापित किए गए। कई तरह की नीतियां बनाई गईं, जिससे बाघों का शिकार रोका जा सके, उनकी संख्या बढ़ाने पर काम किया जा सके।