हर वर्ष 16 जून को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस उन अनगिनत घरेलू श्रमिकों के समर्पण और योगदान को सम्मानित करता है जो दुनिया भर के घरों में आवश्यक देखभाल और सहायता प्रदान करते हैं। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी तारीख को वर्ष 2011 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के कन्वेंशन 189 (C189) को अपनाया गया था, जो पहली बार घरेलू कामगारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों की स्थापना करता है।
क्यों है समाचारों में?
2025 में इस दिन का महत्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन परिसंघ (ITUC) ने एक बार फिर से सभी सरकारों से ILO कन्वेंशन 189 (घरेलू काम के लिए गरिमामय कार्य) और कन्वेंशन 190 (हिंसा और उत्पीड़न पर रोक) को जल्द से जल्द अनुमोदित करने और प्रभावी क्रियान्वयन की अपील की है।
हालांकि अब तक 39 देशों ने C189 को अंगीकार किया है, फिर भी करोड़ों घरेलू कामगार—विशेषकर प्रवासी और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक—कम मजदूरी, लंबे कार्य घंटे, सामाजिक सुरक्षा की कमी और शोषण का सामना कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि
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ILO कन्वेंशन 189 को 16 जून 2011 को घरेलू श्रमिकों की वैश्विक मुहिम के तहत स्वीकार किया गया, जिसमें International Domestic Workers Federation (IDWF) की प्रमुख भूमिका थी।
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यह कन्वेंशन पहली बार घरेलू कार्य को ‘वास्तविक काम’ के रूप में मान्यता देता है, जो अन्य सभी क्षेत्रों की तरह पूरा श्रम अधिकार पाने का हकदार है।
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यह एक ऐतिहासिक जीत थी, विशेष रूप से महिला श्रमिकों, प्रवासी कामगारों और अनौपचारिक रूप से नियोजित लोगों के लंबे संघर्ष की परिणति।
महत्व और संदर्भ
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घरेलू कामगार वैश्विक देखभाल प्रणाली की रीढ़ हैं, जिनकी सेवाओं के कारण अन्य लोग काम पर जा सकते हैं और अर्थव्यवस्थाएं चल सकती हैं।
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फिर भी, ये कामगार अक्सर श्रम कानूनों, सामाजिक सुरक्षा, और यूनियन अधिकारों से वंचित रहते हैं।
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COVID-19 महामारी और मौजूदा महंगाई संकट जैसी परिस्थितियों में इनकी असुरक्षा और बढ़ गई है।
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हिंसा, उत्पीड़न, और प्रवासी-विरोधी नीतियाँ इनके जीवन और गरिमा को और संकट में डालती हैं।
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2025 की अपील स्पष्ट है: घरेलू कामगारों के अधिकारों को सम्मान, संरक्षण और पूर्ति मिलनी चाहिए।
मुख्य माँगें और कार्यवाहियाँ
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ILO कन्वेंशन C189 और C190 को तुरंत अनुमोदन और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
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सभी घरेलू कामगारों को कानूनी सुरक्षा दी जाए, चाहे वे प्रवासी हों या न हों।
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सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ और औपचारिक रोजगार की मान्यता का विस्तार किया जाए।
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यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकार को सुनिश्चित किया जाए।
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देखभाल को मानव अधिकार और सार्वजनिक सेवा के रूप में मान्यता दी जाए, और ILO के 2024 के केयर प्रस्ताव के अनुसार सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाए।