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जानें महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहनशीलता दिवस का इतिहास और महत्व

महिला के लिए शून्य सहिष्णुता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Zero Tolerance for Female) विश्व स्तर पर 6 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिला जननांग विकृति को मिटाने के उनके प्रयासों के लिए प्रायोजित किया जाता है। पहली बार इस दिन को वर्ष 2003 में मनाया गया था। तब से प्रतिवर्ष महिलाओं को स्नेह और सम्मान दिलाने के लिए विश्व के कई देश महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहनशीलता दिवस मना रहा है।

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क्या है महिला जननांग विकृति?

 

महिला जननांग विकृति (एफजीएम) आंशिक या पूरी तरह से महिला जननांग अंगों को हटाने की प्रक्रिया या गैर चिकित्सीय कारणों से महिला जननांग अंगों को चोट पहुंचाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।

 

इस दिवस का इतिहास

 

इस दिन को नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला ओबसंजो ने की थी। वह महिला जननांग विकृति के खिलाफ शून्य सहनशीलता चलाने वाले अभियान की प्रवक्ता भी थीं। नाइजीरिया की पूर्व राष्ट्रपति स्टेला ने ही वर्ष 2003 में 6 फरवरी को पहली बार यह दिन मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस दिन को स्वीकार कर लिया। संयुक्त राष्ट जनसंख्या कोष और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने साल 2007 में महिला विकृति उत्पीड़न के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया। बाद में वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित करके 6 फरवरी को महिला जननांग विकृति के खिलाफ शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की घोषणा की।

इस दिवस का महत्व

 

सदियों से महिलाओं के खिलाफ कई कुप्रथाएं चली आ रही हैं। महिलाओं की मानसिक और शारीरिक सेहत पर यह बुरा असर करती हैं। साथ ही उनकी सामाजिक स्थिति के लिए भी नुकसानदायक हैं। इन कुप्रथाओं को खत्म करके महिलाओं को समाज में समान अधिकार और सम्मान दिलाने की जरूरत है। महिलाएं पुरुषों के समान ही हैं। इसलिए उन्हें पुरुषों जैसा सम्मान दिया जाना चाहिए। दुनियाभर में महिलाओं के खिलाफ फैली इन कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस तरह के खास दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।

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vikash

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