सकल मानव अधिकार उल्लंघन और पीड़ितों की गरिमा के विषय में सत्य के अधिकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Right to the Truth Concerning Gross Human Rights Violations and for the Dignity of Victims) प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन हर साल 24 मार्च को “मोन्सिगनर ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो” को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है क्योंकि 24 मार्च 1980 को उनकी हत्या कर दी गई थी। वह अल सल्वाडोर में सबसे कमजोर व्यक्तियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की सक्रिय रूप से आलोचना करते थे।
सत्य के अधिकार के प्रमुख पहलू
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यह संक्षिप्त फांसी, जबरन गुमशुदगी और यातना जैसे मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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पीड़ितों के परिवारों को यह जानने का अधिकार है कि उनके साथ क्या हुआ, किस परिस्थितियों में और कौन जिम्मेदार था।
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यह सुनिश्चित करता है कि सरकारें अपराधों की जांच करें, न्याय प्रदान करें और मुआवजा दें।
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यह एक अविच्छेद्य अधिकार है, जो सरकारों की जिम्मेदारी से जुड़ा हुआ है कि वे मानवाधिकारों की रक्षा करें और न्याय सुनिश्चित करें।
सत्य के अधिकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (24 मार्च)
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यह दिन जागरूकता बढ़ाने और सत्य, न्याय और पीड़ितों की गरिमा की रक्षा के लिए समर्पित है।
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यह मोनसिन्योर ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिन्होंने अल सल्वाडोर में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाई थी।
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यह सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अतीत के मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करने के प्रयासों को मजबूत करने के लिए प्रेरित करता है।
इस दिवस का उद्देश्य
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गंभीर और व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघनों के पीड़ितों को सम्मान देना।
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उन कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों को मान्यता देना जिन्होंने न्याय और सत्य के लिए अपने जीवन समर्पित किए।
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आर्कबिशप ऑस्कर रोमेरो को श्रद्धांजलि देना, जिन्होंने हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन के खिलाफ संघर्ष किया।
पृष्ठभूमि और मान्यता
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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर 2010 को इस दिवस की स्थापना की।
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इस दिन को आर्कबिशप रोमेरो की 24 मार्च 1980 को हुई हत्या की स्मृति में चुना गया।
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2006 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने सत्य के अधिकार को एक मौलिक, स्वायत्त मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी।
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2009 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में मानवाधिकार मुकदमों से जुड़े अभिलेखों, दस्तावेजों और गवाहों की सुरक्षा के सर्वोत्तम तरीकों पर बल दिया गया।
अल सल्वाडोर में सत्य और न्याय
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1991 में अल सल्वाडोर के लिए “सत्य आयोग” का गठन किया गया, ताकि गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच की जा सके।
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15 मार्च 1993 की रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि आर्कबिशप रोमेरो की हत्या 24 मार्च 1980 को सरकार समर्थित बलों द्वारा मास के दौरान की गई थी।