हर वर्ष 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है, जो लैंगिक आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिनों के वैश्विक सक्रियता अभियान की शुरुआत भी है। वर्ष 2025 का विषय “UNiTE to End Digital Violence Against All Women and Girls” महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती डिजिटल हिंसा—जैसे साइबर स्टॉकिंग, डॉक्सिंग, डीपफेक, और समन्वित ऑनलाइन उत्पीड़न—पर वैश्विक चिंताओं को उजागर करता है।
भारत पारंपरिक और तकनीक-सक्षम दोनों तरह की हिंसा से निपटने के लिए कानून, डिजिटल पहलों, हेल्पलाइन सेवाओं और पुनर्वास योजनाओं के माध्यम से एक समन्वित दृष्टिकोण अपना रहा है, ताकि महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और सशक्तिकरण को वास्तविक जीवन के साथ-साथ डिजिटल दुनिया में भी सुनिश्चित किया जा सके।
पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ हिंसा ने डिजिटल क्षेत्र में भी गंभीर रूप ले लिया है। महिलाएँ तेजी से निम्न प्रकार की ऑनलाइन हिंसा का सामना कर रही हैं:
साइबरस्टॉकिंग
ऑनलाइन ब्लैकमेल
निजी तस्वीरों का बिना अनुमति प्रसार
डीपफेक तकनीक से बनाए गए आपत्तिजनक वीडियो
ट्रोलिंग और लक्षित ऑनलाइन उत्पीड़न
2025 की वैश्विक थीम इस बढ़ते डिजिटल ख़तरे से महिलाओं की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
1 जुलाई 2024 से प्रभावी यह नया दंड संहिता कानून IPC का स्थान लेता है। इसमें शामिल हैं:
यौन अपराधों के लिए कठोर दंड—18 वर्ष से कम आयु की लड़की के बलात्कार पर आजीवन कारावास
यौन अपराधों की परिभाषाओं का विस्तार
पीड़िता के बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
महिलाओं व बच्चों से जुड़े मामलों की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई
यह कानून महिलाओं को घरेलू परिवेश में होने वाले सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा देता है, जैसे—
शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक हिंसा
दहेज उत्पीड़न
लिव-इन संबंधों में सुरक्षा
सभी कार्यस्थलों पर लागू, इसमें शामिल है:
10 से अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में आंतरिक समिति (IC)
जिला स्तर पर स्थानीय समिति (LC)
90 दिनों के भीतर शिकायत का निवारण
SHe-Box पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत और ट्रैकिंग
सरकार की प्रमुख योजना मिशन शक्ति दो भागों में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित है:
संबल: सुरक्षा और संरक्षण सेवाएँ
समर्थ्य: कौशल, शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से सशक्तिकरण
यह मिशन महिलाओं को जीवनचक्र आधारित सहायता प्रदान करता है।
2015 से कार्यरत ये केंद्र प्रदान करते हैं:
चिकित्सीय, कानूनी, पुलिस, मनोवैज्ञानिक सहायता
अस्थायी आश्रय
2016 से संचालित, यह संकटग्रस्त महिलाओं की मदद करती है, जैसे:
हिंसा की शिकार
मानसिक आघात झेल रही महिलाएँ
तस्करी पीड़ित
परामर्श, आश्रय, कानूनी सहायता, और कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है
24×7 सेवा जो महिलाओं को पुलिस, अस्पताल, आश्रय और कानूनी सहायता से जोड़ती है।
तात्कालिक पुलिस, चिकित्सा और कानूनी सहायता के लिए उपलब्ध।
POSH अधिनियम के तहत कार्यस्थल यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों का ऑनलाइन निवारण पोर्टल।
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा संचालित—महिलाओं की साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने हेतु।
ITSSO: यौन अपराध मामलों की पुलिस जांच की निगरानी
NDSO: दुष्कर्म व यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस
Cri-MAC: पुलिस के लिए रियल-टाइम अपराध अलर्ट
पूरे देश में 773 FTSCs (जिनमें 400 विशेष POCSO अदालतें शामिल) स्थापित।
अगस्त 2025 तक 3.3 लाख से अधिक मामलों का निपटारा।
फरवरी 2025 तक 14,658 डेस्क पुलिस थानों में स्थापित—सुरक्षित शिकायत और परामर्श हेतु।
NIMHANS, बेंगलुरु के सहयोग से:
OSC स्टाफ को मानसिक स्वास्थ्य और ट्रॉमा काउंसलिंग का प्रशिक्षण
हिंसा की पीड़िताओं को बेहतर मनो-सामाजिक सहायता
दिन: 25 नवंबर (महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस)
2025 की थीम: “सभी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ डिजिटल हिंसा समाप्त करने के लिए एकजुट हों”
हेल्पलाइन: 181, 7827170170 (NCW), 112 (आपातकाल), 7217735372 (WhatsApp)
मुख्य विधिक सुधार: भारतीय न्याय संहिता 2023, PWDVA 2005, POSH Act 2013
प्रमुख योजनाएँ: मिशन शक्ति, स्वाधार गृह, वन स्टॉप सेंटर, डिजिटल शक्ति
डिजिटल उपकरण: ITSSO, NDSO, Cri-MAC, SHe-Box
महिला सहायता डेस्क: 14,658
फास्ट ट्रैक कोर्ट: 773 (400 विशेष POCSO अदालतें)
स्वाधार गृह योजना: अप्रैल 2016 से संशोधित रूप में लागू
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