हर वर्ष 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है, जो लैंगिक आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिनों के वैश्विक सक्रियता अभियान की शुरुआत भी है। वर्ष 2025 का विषय “UNiTE to End Digital Violence Against All Women and Girls” महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती डिजिटल हिंसा—जैसे साइबर स्टॉकिंग, डॉक्सिंग, डीपफेक, और समन्वित ऑनलाइन उत्पीड़न—पर वैश्विक चिंताओं को उजागर करता है।
भारत पारंपरिक और तकनीक-सक्षम दोनों तरह की हिंसा से निपटने के लिए कानून, डिजिटल पहलों, हेल्पलाइन सेवाओं और पुनर्वास योजनाओं के माध्यम से एक समन्वित दृष्टिकोण अपना रहा है, ताकि महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और सशक्तिकरण को वास्तविक जीवन के साथ-साथ डिजिटल दुनिया में भी सुनिश्चित किया जा सके।
वैश्विक पृष्ठभूमि और इतिहास
अंतरराष्ट्रीय दिवस की उत्पत्ति
- संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया।
- यह तिथि मिराबल बहनों की 1960 में हुई हत्या की याद में चुनी गई, जिन्होंने डोमिनिकन रिपब्लिक की तानाशाही का विरोध किया था।
- यही दिन 16 दिनों के अभियान (25 नवंबर से 10 दिसंबर—मानवाधिकार दिवस) की शुरुआत भी करता है।
- वर्षों में यह दिन एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जो सरकारों, नागरिक समाज और समुदायों को हर प्रकार की लैंगिक हिंसा के खिलाफ एकजुट करता है।
डिजिटल सुरक्षा की ओर रुझान
पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ हिंसा ने डिजिटल क्षेत्र में भी गंभीर रूप ले लिया है। महिलाएँ तेजी से निम्न प्रकार की ऑनलाइन हिंसा का सामना कर रही हैं:
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साइबरस्टॉकिंग
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ऑनलाइन ब्लैकमेल
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निजी तस्वीरों का बिना अनुमति प्रसार
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डीपफेक तकनीक से बनाए गए आपत्तिजनक वीडियो
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ट्रोलिंग और लक्षित ऑनलाइन उत्पीड़न
2025 की वैश्विक थीम इस बढ़ते डिजिटल ख़तरे से महिलाओं की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने वाले विधिक ढाँचे
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023
1 जुलाई 2024 से प्रभावी यह नया दंड संहिता कानून IPC का स्थान लेता है। इसमें शामिल हैं:
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यौन अपराधों के लिए कठोर दंड—18 वर्ष से कम आयु की लड़की के बलात्कार पर आजीवन कारावास
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यौन अपराधों की परिभाषाओं का विस्तार
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पीड़िता के बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
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महिलाओं व बच्चों से जुड़े मामलों की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई
घरेलू हिंसा सुरक्षा: PWDVA, 2005
यह कानून महिलाओं को घरेलू परिवेश में होने वाले सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा देता है, जैसे—
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शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक हिंसा
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दहेज उत्पीड़न
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लिव-इन संबंधों में सुरक्षा
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (POSH Act), 2013
सभी कार्यस्थलों पर लागू, इसमें शामिल है:
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10 से अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं में आंतरिक समिति (IC)
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जिला स्तर पर स्थानीय समिति (LC)
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90 दिनों के भीतर शिकायत का निवारण
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SHe-Box पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत और ट्रैकिंग
मिशन शक्ति: महिलाओं के सशक्तिकरण की राष्ट्रीय रणनीति
सरकार की प्रमुख योजना मिशन शक्ति दो भागों में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित है:
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संबल: सुरक्षा और संरक्षण सेवाएँ
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समर्थ्य: कौशल, शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से सशक्तिकरण
यह मिशन महिलाओं को जीवनचक्र आधारित सहायता प्रदान करता है।
महत्वपूर्ण सहायता योजनाएँ और हेल्पलाइन
वन स्टॉप सेंटर (OSCs)
2015 से कार्यरत ये केंद्र प्रदान करते हैं:
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चिकित्सीय, कानूनी, पुलिस, मनोवैज्ञानिक सहायता
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अस्थायी आश्रय
स्वाधार गृह योजना
2016 से संचालित, यह संकटग्रस्त महिलाओं की मदद करती है, जैसे:
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हिंसा की शिकार
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मानसिक आघात झेल रही महिलाएँ
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तस्करी पीड़ित
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परामर्श, आश्रय, कानूनी सहायता, और कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है
महिला हेल्पलाइन 181
24×7 सेवा जो महिलाओं को पुलिस, अस्पताल, आश्रय और कानूनी सहायता से जोड़ती है।
NCW हेल्पलाइन: 7827170170
तात्कालिक पुलिस, चिकित्सा और कानूनी सहायता के लिए उपलब्ध।
तकनीक आधारित सुरक्षा उपाय
शी-बॉक्स
POSH अधिनियम के तहत कार्यस्थल यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों का ऑनलाइन निवारण पोर्टल।
डिजिटल शक्ति अभियान
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा संचालित—महिलाओं की साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने हेतु।
अपराध ट्रैकिंग प्रणालियाँ
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ITSSO: यौन अपराध मामलों की पुलिस जांच की निगरानी
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NDSO: दुष्कर्म व यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस
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Cri-MAC: पुलिस के लिए रियल-टाइम अपराध अलर्ट
तेज़ न्याय के लिए संस्थागत तंत्र
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSCs)
पूरे देश में 773 FTSCs (जिनमें 400 विशेष POCSO अदालतें शामिल) स्थापित।
अगस्त 2025 तक 3.3 लाख से अधिक मामलों का निपटारा।
महिला सहायता डेस्क (WHDs)
फरवरी 2025 तक 14,658 डेस्क पुलिस थानों में स्थापित—सुरक्षित शिकायत और परामर्श हेतु।
मानसिक स्वास्थ्य सहायता: परियोजना स्त्री मनोरक्षा
NIMHANS, बेंगलुरु के सहयोग से:
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OSC स्टाफ को मानसिक स्वास्थ्य और ट्रॉमा काउंसलिंग का प्रशिक्षण
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हिंसा की पीड़िताओं को बेहतर मनो-सामाजिक सहायता
स्थिर तथ्य
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दिन: 25 नवंबर (महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस)
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2025 की थीम: “सभी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ डिजिटल हिंसा समाप्त करने के लिए एकजुट हों”
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हेल्पलाइन: 181, 7827170170 (NCW), 112 (आपातकाल), 7217735372 (WhatsApp)
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मुख्य विधिक सुधार: भारतीय न्याय संहिता 2023, PWDVA 2005, POSH Act 2013
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प्रमुख योजनाएँ: मिशन शक्ति, स्वाधार गृह, वन स्टॉप सेंटर, डिजिटल शक्ति
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डिजिटल उपकरण: ITSSO, NDSO, Cri-MAC, SHe-Box
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महिला सहायता डेस्क: 14,658
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फास्ट ट्रैक कोर्ट: 773 (400 विशेष POCSO अदालतें)
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स्वाधार गृह योजना: अप्रैल 2016 से संशोधित रूप में लागू


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