आइए, संक्षिप्त परिभाषाओं के साथ अंतरिम बजट 2024 की अनिवार्यताओं को जानें। राजकोषीय नीतियों से लेकर मुद्रास्फीति तक, भारत के वित्तीय परिदृश्य को आकार देने वाले महत्वपूर्ण पहलुओं को समझें।
1 फरवरी, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला 2024 का अंतरिम बजट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वर्ष के अंत में आगामी आम चुनावों से पहले आता है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की व्यय योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए बजट से जुड़े प्रमुख शब्दों को समझना आवश्यक है।
1. केंद्रीय बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण):
- परिभाषा: केंद्रीय बजट, जिसे वार्षिक वित्तीय विवरण (एएफएस) के रूप में भी जाना जाता है, एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के दौरान सरकार के व्यय और प्राप्तियों की एक व्यापक प्रस्तुति है।
- अनुमोदन: सरकार को भारत की संचित निधि से धन का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए आगामी वित्तीय वर्ष के बजट अनुमानों को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
2. आर्थिक सर्वेक्षण:
- भूमिका: वित्त मंत्रालय का एक प्रमुख दस्तावेज़, आर्थिक सर्वेक्षण प्रतिवर्ष केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाता है।
- सामग्री: यह आर्थिक दृष्टिकोण और सरकारी निर्णयों के प्रभाव सहित भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा तैयार किया गया, यह आर्थिक मामलों को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है।
3. मुद्रास्फीति:
- मापन: आमतौर पर प्रतिशत में व्यक्त, मुद्रास्फीति उस दर को मापती है जिस पर समय के साथ अर्थव्यवस्था में उत्पादों और सेवाओं में वृद्धि होती है।
- महत्व: मुद्रास्फीति में वृद्धि मुद्रा मूल्य और क्रय शक्ति में कमी को दर्शाती है, जो केंद्रीय बैंक की नीतियों को प्रभावित करती है।
4. राजकोषीय नीति:
- परिभाषा: राजकोषीय नीति अनुमानित कराधान और सरकारी खर्च की रूपरेखा तैयार करती है, जो देश की आर्थिक स्थिति की निगरानी के लिए एक प्रमुख साधन के रूप में कार्य करती है।
- भूमिका: इसमें आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करने के लिए खर्च के स्तर और कर दरों में समायोजन शामिल है, जो अक्सर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियंत्रित मौद्रिक नीति के साथ कार्य करता है।
5. राजकोषीय घाटा:
- अर्थ: जब किसी सरकार का कुल व्यय बाहरी उधार को छोड़कर, कुल राजस्व से अधिक हो जाता है।
- महत्व: राजस्व और पूंजीगत व्यय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक स्वस्थ राजकोषीय घाटा अनुपात बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
6. विनिवेश:
- प्रक्रिया: इसमें निवेश के विपरीत, मौजूदा परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है।
- संदर्भ: सरकार का लक्ष्य उन परिसंपत्तियों का विनिवेश करना है जो पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण हो गई हैं।
7. पूंजीगत व्यय (कैपेक्स):
- परिभाषा: सरकार द्वारा संपत्ति, बुनियादी ढाँचे या उपकरण जैसी भौतिक संपत्तियों को प्राप्त करने, बनाए रखने या उन्नत करने के लिए उपयोग किया जाने वाला धन पूंजीगत व्यय है।
- विशेषताएँ: दीर्घकालिक व्यय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो आमतौर पर संपत्ति निर्माण और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के लिए किया जाता है।
8. सीमा शुल्क:
- लेवी: जब कुछ वस्तुओं का आयात/निर्यात किया जाता है, जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत नहीं आती हैं, तो शुल्क लिया जाता है।
- महत्व: बजट में घोषित परिवर्तनों के अधीन हो सकता है, जो विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।
9. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी):
- घोषणाएँ: जीएसटी में परिवर्तन बजट में नहीं किए जाते हैं बल्कि जीएसटी परिषद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
10. प्रत्यक्ष कर (आयकर):
- घटक: आयकर और कॉर्पोरेट कर शामिल हैं।
- उम्मीदें: इनकम टैक्स से जुड़ी बड़ी घोषणाओं की संभावना नहीं है, लेकिन छोटे-मोटे समायोजन हो सकते हैं।
11. चालू खाता घाटा (सीएडी):
- मापन: यह इंगित करता है कि आयातित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य निर्यात के मूल्य से अधिक है।
- महत्व: देश के भुगतान संतुलन का एक घटक, जो व्यापार असंतुलन को दर्शाता है।
12. राजस्व घाटा:
- परिभाषा: यह तब होता है जब सरकार की शुद्ध आय या राजस्व सृजन अनुमानित राशि से कम होता है।
- संकेतक: बजट अनुमान की तुलना में नियमित आय पर अधिक खर्च को उजागर करता है।
13. राजस्व अधिशेष:
- विपरीत: ऐसी स्थिति जहां सरकार की शुद्ध प्राप्त आय अनुमानित राशि से अधिक है।
- परिणाम: यह इंगित करता है कि वास्तविक राजस्व और व्यय बजट अनुमान से अधिक है।
14. योजना और गैर-योजना व्यय:
- घटक: व्यय को योजनागत और गैर-योजनागत श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
- योजना व्यय: हितधारकों या मंत्रालयों के साथ चर्चा के बाद निर्धारित किया जाता है।
- गैर-योजनागत व्यय: इसमें ब्याज भुगतान, वैधानिक हस्तांतरण, पेंशन भुगतान और सरकारी वेतन जैसे आवर्ती व्यय शामिल होते हैं। ऋण चुकाना, रक्षा व्यय और ब्याज भुगतान इस श्रेणी के प्रमुख खर्च हैं।
परीक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
1. केंद्रीय बजट को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
A) वित्तीय रिपोर्ट
B) आर्थिक सर्वेक्षण
C) वार्षिक वित्तीय विवरण (एएफएस)
D) मौद्रिक अवलोकन
2. केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण कौन तैयार करता है?
A) प्रधान मंत्री
B) मुख्य आर्थिक सलाहकार और टीम
C) वित्त मंत्री
D) भारतीय रिजर्व बैंक
3. मुद्रास्फीति कैसे मापी जाती है?
A) किलोग्राम में
B) प्रतिशत में
C) लीटर में
D) करेंसी नोटों में
4. राजकोषीय नीति क्या रेखांकित करती है?
A) पर्यावरण विनियम
B) कराधान और सरकारी खर्च
C) समाज कल्याण कार्यक्रम
D) विदेशी संबंध
5. राजकोषीय घाटा क्या है?
A) सरकारी बचत
B) अतिरिक्त सरकारी राजस्व
C) कुल व्यय राजस्व से अधिक होना
D) बाह्य उधार
6. विनिवेश का विपरीतार्थक क्या है?
A) निवेश
B) लाभांश
C) अधिग्रहण
D) संपत्ति वृद्धि
7. पूंजीगत व्यय से क्या तात्पर्य है?
A) दैनिक व्यय
B) अल्पकालिक निवेश
C) दीर्घकालिक संपत्ति
D) आयात कर
8. कौन सा क्षेत्र बजट के दौरान सीमा शुल्क पर घोषणाओं का बेसब्री से इंतजार करता है?
A) शिक्षा
B) स्वास्थ्य देखभाल
C) विनिर्माण
D) कृषि
9. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में परिवर्तन की घोषणा कहां की गई है?
A) केंद्रीय बजट
B) राज्य का बजट
C) जीएसटी परिषद
D) आर्थिक सर्वेक्षण
10. प्रत्यक्ष करों में क्या शामिल है?
A) बिक्री कर
B) संपत्ति कर
C) आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स
D) उत्पाद शुल्क
11. चालू खाता घाटा (सीएडी) क्या मापता है?
A) बजट अधिशेष
B) व्यापार असंतुलन
C) राष्ट्रीय बचत
D) सरकारी ऋण
12. राजस्व घाटा कब होता है?
A) जब खर्च राजस्व से मेल खाते हों
B) जब व्यय राजस्व से अधिक हो
C) जब राजस्व व्यय से अधिक हो
D) वार्षिक रूप से
13. राजस्व अधिशेष किसका सूचक है?
A) बजट से अधिक खर्च करना
B) कुशल वित्तीय प्रबंधन
C) अत्यधिक उधार लेना
D) बजट घाटा
14. गैर-योजना व्यय में मुख्य रूप से क्या शामिल है?
A) बुनियादी ढांचे का विकास
B) पूंजी निवेश
C) आवर्ती व्यय
D) समाज कल्याण कार्यक्रम
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