इंडो-बर्मा रामसर क्षेत्रीय पहल (IBRRI) एक सहयोगात्मक प्रयास है जिसका उद्देश्य इंडो-बर्मा क्षेत्र में आर्द्रभूमियों का संरक्षण और पुनर्स्थापन करना है। यह पहल कंबोडिया, लाओस पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम के रामसर राष्ट्रीय फोकल प्वाइंट्स (NFPs) द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से संयुक्त रूप से विकसित की गई है। यह पहल रामसर कन्वेंशन की रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाती है, जिससे सीमापार आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र का सतत प्रबंधन सुनिश्चित हो सके।
हाल ही में संपन्न हुए रामसर COP15 सम्मेलन में एक साइड इवेंट के दौरान इंडो-बर्मा रामसर क्षेत्रीय पहल की प्रगति को प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर IBRRI ने आधिकारिक रूप से अपनी रणनीतिक योजना 2025–2030 की शुरुआत की, जो सदस्य देशों में आर्द्रभूमियों के क्षरण को रोकने और पुनर्स्थापित करने के लिए एक सीमापार रूपरेखा प्रदान करती है।
संयुक्त रूप से विकसित किया गया: कंबोडिया, लाओस पीडीआर, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम के रामसर राष्ट्रीय फोकल प्वाइंट्स द्वारा।
सहयोग प्राप्त: IUCN की BRIDGE परियोजना (Building River Dialogue and Governance)।
उद्देश्य: रामसर कन्वेंशन की रणनीतिक योजना के समन्वित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना।
IBRRI में निगरानी, पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित करने हेतु एक बहु-स्तरीय शासन प्रणाली अपनाई गई है:
स्टीयरिंग समिति: इसमें पाँच सदस्य देशों के रामसर प्रशासनिक प्राधिकरणों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सचिवालय: IUCN एशिया क्षेत्रीय कार्यालय, बैंकॉक (थाईलैंड) में स्थित है।
स्टेकहोल्डर समिति: तकनीकी और रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करती है तथा IBRRI गतिविधियों में बहु-हितधारक सहभागिता का मंच है।
यह रणनीतिक योजना क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक स्पष्ट रोडमैप निर्धारित करती है।
लक्ष्य: इंडो-बर्मा क्षेत्र में आर्द्रभूमियों के क्षय को रोकना और उन्हें पुनर्स्थापित करना।
दृष्टिकोण: सहयोगात्मक और सीमापार साझेदारी पर आधारित, जिससे सदस्य देश संरक्षण, पुनर्स्थापन और सतत उपयोग हेतु मिलकर कार्य करें।
रामसर स्थलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों का संरक्षण
समुदाय की भागीदारी और हितधारकों की सहभागिता को बढ़ाना
आर्द्रभूमि प्रबंधन के लिए विज्ञान-आधारित नीतियों को सुदृढ़ करना
आर्द्रभूमि संरक्षण के माध्यम से जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देना
इंडो-बर्मा देशों में आर्द्रभूमि संरक्षण हेतु एकजुटता को बढ़ावा देता है
आर्द्रभूमि-आश्रित प्रमुख प्रजातियों के संरक्षण को सुनिश्चित करता है
आर्द्रभूमियाँ कार्बन सिंक और बाढ़ के विरुद्ध प्राकृतिक अवरोध का कार्य करती हैं
मछली पकड़ने, कृषि और पारिस्थितिक पर्यटन पर निर्भर करोड़ों लोगों को समर्थन प्रदान करती हैं
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