वित्त वर्ष 2024–25 में भारत के विदेश व्यापार के आँकड़े प्रमुख वैश्विक साझेदारों के साथ विविध रुझान दर्शाते हैं। अमेरिका को भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिससे व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) और अधिक बढ़ गया। दूसरी ओर, चीन के साथ व्यापार घाटा और गहराता गया, जिसका मुख्य कारण आयात में वृद्धि और निर्यात में गिरावट रहा। चीन भारत का सबसे बड़ा आयात स्रोत बना रहा, जबकि अमेरिका भारतीय निर्यात का प्रमुख गंतव्य बना रहा।
मुख्य बिंदु
अमेरिका के साथ व्यापार (FY25)
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अमेरिका को निर्यात: $86.5 अरब (वृद्धि: 11.59%, FY24 में $77.5 अरब)
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अमेरिका से आयात: $45.3 अरब (वृद्धि: 7.44%, FY24 में $42.19 अरब)
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व्यापार अधिशेष (सरप्लस): $41.2 अरब (FY24 में $35.4 अरब से अधिक)
चीन के साथ व्यापार (FY25)
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चीन को निर्यात: $14.25 अरब (गिरावट: 14.49%, FY24 में $16.66 अरब)
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चीन से आयात: $113.45 अरब (वृद्धि: 11.52%, FY24 में $101.7 अरब)
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व्यापार घाटा: $99.2 अरब (FY24 में $85.1 अरब से अधिक)
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मुख्य आयात वस्तुएँ: इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ईवी बैटरियाँ, सौर सेल, औद्योगिक कच्चा माल
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टिप्पणी: पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजनाओं के चलते चीन से आयातित पुर्जों की मांग बढ़ रही है।
भारत के शीर्ष निर्यात गंतव्य (FY25)
क्रम | देश | निर्यात मूल्य ($ अरब में) | वृद्धि दर (%) |
---|---|---|---|
1 | अमेरिका | 86.5 | 11.59% |
2 | संयुक्त अरब अमीरात (UAE) | 36.6 | 2.84% |
3 | नीदरलैंड | 22.7 | 1.75% |
4 | यूनाइटेड किंगडम (UK) | 14.5 | 12% |
भारत के शीर्ष आयात स्रोत (FY25)
क्रम | देश | आयात मूल्य ($ अरब में) | वृद्धि दर (%) |
---|---|---|---|
1 | चीन | 113.45 | 11.52% |
2 | रूस | 63.8 | 4.39% |
3 | संयुक्त अरब अमीरात (UAE) | 63.4 | 32% |
4 | अमेरिका | 45.3 | 7.44% |