भारत का वस्तु व्यापार घाटा (Merchandise Trade Deficit) सितंबर 2025 में तेज़ी से बढ़कर 32.15 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्च स्तर पर पहुँच गया — जो पिछले 11 महीनों में सबसे अधिक है। यह जानकारी वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 15 अक्टूबर को जारी आंकड़ों में दी गई। घाटे में यह उछाल उम्मीद से कहीं ज़्यादा रहा, जिसका कारण आयात में तेज़ वृद्धि और निर्यात में अपेक्षाकृत धीमी बढ़ोतरी है — साथ ही हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ (शुल्क) बढ़ाने का भी असर पड़ा है। यह स्थिति उस समय आई है जब भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण व्यापार वार्ताएँ होने वाली हैं, जिनमें भारत अपने अमेरिकी ऊर्जा आयात बढ़ाने और रूसी तेल की खरीद का बचाव करने की तैयारी में है।
सितंबर 2025 के व्यापार आंकड़े
वस्तु निर्यात और आयात
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भारत का निर्यात सितंबर में बढ़कर 36.38 अरब डॉलर हुआ, जो अगस्त के 35.10 अरब डॉलर से थोड़ा अधिक है।
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अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से टेक्सटाइल, झींगा (shrimp) और रत्न-आभूषण जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर असर पड़ा।
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वहीं आयात तेज़ी से बढ़कर 68.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि अगस्त में यह 61.59 अरब डॉलर था।
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इसके चलते व्यापार घाटा 32.15 अरब डॉलर पहुँच गया, जो रायटर्स पोल में अनुमानित 25.13 अरब डॉलर से कहीं अधिक है।
अमेरिका के साथ शुल्क (टैरिफ) तनाव
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यह बड़ा घाटा उस निर्णय के बाद आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2025 के अंत में कई भारतीय उत्पादों पर टैरिफ 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया।
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यह कदम उन क्षेत्रों को निशाना बनाता है जहाँ भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा अधिक है — जैसे टेक्सटाइल, समुद्री खाद्य और आभूषण उद्योग।
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हालांकि इन तनावों के बावजूद, भारत अभी भी अमेरिका का सबसे बड़ा वस्तु व्यापारिक साझेदार बना हुआ है।
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इस सप्ताह होने वाली भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में भारत संभवतः अमेरिकी एलएनजी (LNG) और कच्चे तेल के आयात बढ़ाने की रूपरेखा पेश करेगा ताकि व्यापार असंतुलन को कम किया जा सके।
रूसी तेल खरीद पर विवाद
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अमेरिका की चिंता भारत द्वारा रियायती रूसी तेल खरीद जारी रखने को लेकर बनी हुई है।
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भारत इस पर अपने रुख का बचाव करेगा कि यह नीति ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक तेल बाजार में मूल्य स्थिरता के लिए आवश्यक है।
अप्रैल–सितंबर (वित्त वर्ष 2025–26) का अर्धवार्षिक व्यापार परिदृश्य
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अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात 13% से अधिक बढ़कर 40.42 अरब डॉलर से 45.82 अरब डॉलर हुआ।
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वहीं अमेरिका से आयात भी 23.47 अरब डॉलर से बढ़कर 25.59 अरब डॉलर हो गया।
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यह दर्शाता है कि अल्पकालिक टैरिफ बाधाओं के बावजूद, दीर्घकालिक व्यापार प्रवृत्ति मजबूत बनी हुई है, जिसे उपभोक्ता मांग और आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण से बल मिल रहा है।
सेवा क्षेत्र का संतुलनकारी योगदान
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भारत का सेवा क्षेत्र (Services Sector) मजबूत अधिशेष बनाए हुए है, जो वस्तु व्यापार घाटे के असर को कुछ हद तक कम करता है।
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सितंबर में:
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सेवा निर्यात: 30.82 अरब डॉलर
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सेवा आयात: 15.29 अरब डॉलर
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शुद्ध अधिशेष (Surplus): 15.53 अरब डॉलर
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वस्तु और सेवा दोनों क्षेत्रों को मिलाकर कुल व्यापार घाटा अपेक्षाकृत मध्यम स्तर पर रहा।
मुख्य तथ्य
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सितंबर 2025 में व्यापार घाटा: 32.15 अरब डॉलर (11 महीनों में सबसे अधिक)
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निर्यात: 36.38 अरब डॉलर | आयात: 68.53 अरब डॉलर
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अमेरिका ने भारतीय झींगा, वस्त्र, रत्न-आभूषण पर टैरिफ 50% तक बढ़ाया
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आगामी भारत-अमेरिका वार्ता में ऊर्जा आयात और रूसी तेल पर चर्चा
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सेवा क्षेत्र अधिशेष (Surplus): 15.53 अरब डॉलर (सितंबर 2025)