पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों के बीच भारत की रूसी तेल पर निर्भरता में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। प्रतिबंधों से जुड़ी चुनौतियों के कारण आयात में गिरावट के बावजूद रूस ने लगातार दूसरे साल भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है।
जनवरी में भारत ने रूस से घरेलू तेल आयात में 12 महीने का सबसे निचला स्तर देखा, जिसका मुख्य कारण प्रतिबंधों का प्रभाव था। आयात में गिरावट, विशेषकर हल्के मीठे सोकोल ग्रेड के आयात में गिरावट के कारण भारत को अन्य स्रोतों, विशेषकर इराक से आयात बढ़ाने के लिए प्रेरित होना पड़ा। हाल ही में अमेरिका द्वारा एक निर्धारित मूल्य सीमा से अधिक कीमत पर रूसी तेल ले जाने वाले जहाजों पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई है, जिसके कारण भारत जाने वाले कई टैंकरों को दूसरी दिशा में मोड़ना पड़ा है।
मध्य पूर्वी विकल्पों की तुलना में रूसी कच्चे तेल की छूट में कसावट, प्रतिबंधों से संबंधित व्यवधानों और बढ़ते टैंकर प्रीमियमों के कारण हाल के महीनों में भारतीय रिफाइनरों के लिए रूसी कच्चे तेल का आकर्षण कम हो गया है। यह प्रवृत्ति निकट भविष्य में भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात में संभावित गिरावट का संकेत देती है। फरवरी में निर्धारित डिलीवरी के बावजूद, चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जो भारत की तेल सोर्सिंग रणनीति में निरंतर गतिशीलता का संकेत देती हैं।
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