जून 2025 में भारत की निजी क्षेत्र की गतिविधियों में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले 14 महीनों में सबसे तेज़ रही। HSBC इंडिया फ्लैश कॉम्पोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार, यह सूचकांक मई के 59.3 से बढ़कर 61 पर पहुँच गया। यह आंकड़ा विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में मजबूत आर्थिक गति और निरंतर विस्तार को दर्शाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है।
क्यों चर्चा में है?
जून के लिए HSBC इंडिया फ्लैश PMI में व्यापार गतिविधियों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसमें विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में घरेलू और निर्यात ऑर्डरों में तेज़ वृद्धि देखने को मिली। यह लगातार 47वां महीना है जब भारत की निजी क्षेत्र की गतिविधियों में विस्तार हुआ है, जो वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के बीच भारत की आर्थिक मजबूती और सतत पुनरुद्धार को दर्शाता है।
कंपोज़िट पीएमआई क्या है?
कंपोज़िट पीएमआई विनिर्माण पीएमआई और सेवा पीएमआई का भारित औसत होता है।
– 50 से अधिक का मान अर्थव्यवस्था में विस्तार (Expansion) को दर्शाता है।
– 50 से कम का मान संकुचन (Contraction) को संकेत करता है।
जून 2025 की पीएमआई रिपोर्ट
– कंपोज़िट पीएमआई: 61 (जुलाई 2024 के बाद सबसे उच्च स्तर)
– पिछले महीने (मई 2025): 59.3 (बाद में घटाकर संशोधित किया गया)
– वृद्धि दोनों क्षेत्रों में देखी गई: विनिर्माण और सेवा, जिसमें विनिर्माण प्रमुख रहा।
वृद्धि के प्रमुख कारण
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नए ऑर्डरों में उछाल: घरेलू मांग और अंतरराष्ट्रीय बिक्री ने गति दी।
- निर्यात में मजबूती: विशेष रूप से विनिर्माण निर्यात में बेहतर प्रदर्शन।
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तकनीकी निवेश व दक्षता में सुधार: उत्पादकता वृद्धि में सहायक।
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रोज़गार में वृद्धि: विनिर्माण में तेज़ नियुक्तियाँ, सेवाओं में मध्यम स्तर की वृद्धि।