भारत के माल व्यापार ने जुलाई 2025 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जहाँ निर्यात 7.3% बढ़कर 37.24 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस वृद्धि को इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन ने सहारा दिया। हालांकि, आयात में तेज़ बढ़ोतरी के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 27.35 अरब डॉलर पर पहुँच गया, जो पिछले आठ महीनों में सबसे अधिक है। यह आँकड़े वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अस्थायी डेटा में सामने आए।
मजबूत क्षेत्र
जुलाई में भारत के निर्यात में मुख्य योगदान रहा –
इंजीनियरिंग वस्तुएँ
रत्न और आभूषण
इलेक्ट्रॉनिक्स
फार्मास्यूटिकल्स
कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन
इनमें से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ सबसे तेज़ रहीं, जिनका निर्यात जुलाई 2024 के 2.81 अरब डॉलर से 34% बढ़कर जुलाई 2025 में 3.77 अरब डॉलर हो गया। यह भारत की उच्च-प्रौद्योगिकी विनिर्माण और डिजिटल व्यापार में मज़बूत होती स्थिति को दर्शाता है, जिसे उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी सरकारी पहल का समर्थन प्राप्त है।
निर्यात बढ़ने के बावजूद, आयात 8.6% की दर से बढ़कर जुलाई में 64.59 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस वजह से व्यापार घाटा 27.35 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले आठ महीनों का उच्चतम स्तर है।
आयात बढ़ने के कारण:
कच्चे तेल और ऊर्जा संसाधनों की मांग जारी रहना
घरेलू उत्पादन के लिए मशीनरी और औद्योगिक इनपुट्स का आयात
वैश्विक वस्तु कीमतों में वृद्धि का असर
यह स्थिति दर्शाती है कि सकारात्मक निर्यात गति के बावजूद भारत का बाह्य क्षेत्र वैश्विक कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला लागतों के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील है।
वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल–जुलाई) में –
माल निर्यात: 149.20 अरब डॉलर
माल आयात: 244.01 अरब डॉलर
यह आँकड़े स्थायी व्यापार घाटे को दिखाते हैं, हालाँकि अस्थिर वैश्विक माहौल के बावजूद निर्यात का कुल प्रदर्शन उत्साहजनक रहा है।
अप्रैल–जुलाई 2025 के दौरान वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 277.63 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 5.23% की वृद्धि है। यह भारत के व्यापार क्षेत्र की लचीलापन (resilience) को दर्शाता है।
क्यों ज़रूरी है?
निर्यात वृद्धि भारत की जीडीपी, रोज़गार सृजन और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए अहम है।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में उछाल भारत की वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ती भूमिका का संकेत है।
परंतु बढ़ता व्यापार घाटा ऊर्जा और पूंजीगत वस्तुओं में आयात-निर्भरता पर चिंता बढ़ाता है।
नीतिगत दिशा-निर्देश:
निर्यात बाज़ारों में विविधता और निर्यात अवसंरचना को सुदृढ़ करना।
आयात-गहन वस्तुओं का घरेलू उत्पादन बढ़ाना।
इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन जैसे क्षेत्रों में मूल्यवर्धित विनिर्माण को प्रोत्साहित करना।
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