‘मेक इन इंडिया’ पहल के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत की पहली व्यापक लॉजिस्टिक्स लागत रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में भारत की लॉजिस्टिक्स लागत को 7.97% जीडीपी पर आधिकारिक रूप से आंका गया है। यह ऐतिहासिक कदम भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक्स हब बनाने के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
सटीक अनुमान: भारत की लॉजिस्टिक्स लागत अब आधिकारिक तौर पर 7.97% जीडीपी है। पहले के पुराने अनुमान 13–14% बताए जाते थे।
वैज्ञानिक पद्धति: सेकेंडरी डेटा और बड़े पैमाने पर किए गए सर्वे (फर्म स्तर एवं क्षेत्रवार) का हाइब्रिड विश्लेषण।
फ्रेट मेट्रिक्स: प्रति टन-किलोमीटर लागत और मल्टी-मोडल परफॉर्मेंस इंडिकेटर शामिल।
विकास रुझान: आउटपुट की तुलना में लॉजिस्टिक्स लागत की वृद्धि दर घट रही है, जिससे कुशलता (efficiency) में सुधार दिख रहा है।
HS कोड मैपिंग: हर HS कोड को एक नोडल मंत्रालय से जोड़ा गया – बेहतर समन्वय और वैश्विक व्यापार वार्ताओं के लिए।
SMILE कार्यक्रम: राज्य और शहर स्तरीय लॉजिस्टिक्स योजनाएँ, ADB के सहयोग से लागू।
ULIP एवं NICDC: लॉजिस्टिक्स फ्लो का डिजिटलीकरण और प्रक्रियागत देरी में कमी।
GST सुधार: कर ढाँचे के सरलीकरण से सीमा-पार लॉजिस्टिक्स तेज़ और कुशल।
गति शक्ति मास्टर प्लान: भारतमाला, सागरमाला और समर्पित मालवाहक गलियारे (DFC) जैसी परियोजनाएँ।
कम टर्नअराउंड टाइम: 2014 से पहले जहाज़ों का टर्नअराउंड टाइम 2 दिन, अब घटकर 1 दिन से कम।
आगामी परियोजनाएँ: वधावन गहरे समुद्री बंदरगाह और अंतर्देशीय जलमार्ग उन्नयन – सस्ते एवं बड़े पैमाने के परिवहन हेतु।
भारत की लॉजिस्टिक्स लागत (आधिकारिक): 7.97% जीडीपी
पहले के अनुमान: 13–14%
सर्वे वर्ष: वित्त वर्ष 2021–22
नीति आधार: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (2022)
मुख्य प्लेटफ़ॉर्म: ULIP, NICDC, SMILE
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