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भारत की लॉजिस्टिक्स लागत 2021-22 में GDP का 7.8 – 8.9% रही

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इकोनॉमिक पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की ओर से गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कुल लॉजिस्टिक्स लागत देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद के 7.8-8.9 प्रतिशत के बीच है। केंद्र सरकार समग्र रसद लागत को कम करने और भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए काम कर रही है।

सरकार 2030 तक भारत की बढ़ी हुई लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मौजूदा 13-14 प्रतिशत से घटाकर जीडीपी के 8-9 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) जिसकी पिछले साल शुरुआत की गई थी का उद्देश्य अंतिम छोर तक त्वरित डिलीवरी हासिल करना, परिवहन से संबंधित चुनौतियों को समाप्त करना, निर्माताओं के लिए समय और धन की बचत करना और कृषि-उत्पादों की बर्बादी को रोकना है।

 

एयर कार्गो टर्मिनल स्थापित

रसद लागत को कम करने के लिए, नए पर्यावरण अनुकूल जलमार्ग स्थापित किए जा रहे हैं, निर्यात की सुविधा के लिए एयर कार्गो टर्मिनल स्थापित किए गए हैं, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं के साथ हवाई अड्डे और मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं।

 

विश्वसनीय डेटा मिलना शुरू

डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने रिपोर्ट जारी करने के बाद कहा कि भारत भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे दोनों में जिस तरह का निवेश कर रहा है। यह सब एक सक्षम वातावरण बना रहा है जहां हमें अच्छे और विश्वसनीय डेटा मिलना शुरू हो जाएगा, जिसके आधार पर, हम डेटा-आधारित योजना बना सकते हैं और अंततः डेटा-आधारित नीति-निर्माण भी कर सकते हैं।

 

विश्वसनीय रसद लागत

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के माध्यम से, एक ढांचा विकसित किया जा रहा है जिसका उपयोग विश्वसनीय रसद लागत अनुमानों की गणना करने के लिए किया जाएगा। सिंह ने कहा कि आंकड़ों की गणना सरकार की ओर से एनसीएईआर द्वारा की जाती है।

 

भारत की रैंकिंग में सुधार

डीपीआईआईटी की विशेष सचिव सुमिता डावरा ने कहा कि विभाग विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए भी काम कर रहा है। एनसीएईआर की प्रोफेसर पूनम मुंजाल ने इस अवसर पर कहा कि ये त्वरित अनुमान हैं और आगे चलकर, अधिक बारीक डेटा का उपयोग करके इन संख्याओं को और परिष्कृत किया जाएगा। वर्तमान में, सरकार कुछ अनुमानों के अनुसार चल रही है, जिससे पता चलता है कि भारत की रसद लागत देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 13-14 प्रतिशत है।

 

वैश्विक संदर्भ

वैश्विक स्तर पर, व्यापक आर्थिक स्तर पर लॉजिस्टिक्स लागत की गणना के लिए अलग-अलग पद्धतियां मौजूद हैं। आर्मस्ट्रांग एंड एसोसिएट्स (2017) और भारतीय उद्योग परिसंघ (2015) जैसे स्रोतों के पिछले अनुमानों ने अलग-अलग आंकड़े दिखाए हैं, जो एक मानकीकृत और विश्वसनीय ढांचे की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

 

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FAQs

रसद लागत के लिए वर्तमान सरकारी अनुमान क्या है?

यह सकल घरेलू उत्पाद के 13-14% का सुझाव देता है, जो सर्वेक्षण परिणामों से एक उल्लेखनीय भिन्नता दर्शाता है।