भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 28 नवंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.877 अरब डॉलर की कमी दर्ज की गई, जिसके बाद कुल भंडार घटकर 686.227 अरब डॉलर पर आ गया। यह लगातार कई हफ्तों से जारी गिरावट की प्रवृत्ति को दर्शाता है, जबकि सालभर में कुल मिलाकर रिज़र्व में सकारात्मक वृद्धि रही है। इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में आई कमी है, हालांकि इसी अवधि में स्वर्ण भंडार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं—
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
स्वर्ण भंडार
विशेष आहरण अधिकार (SDRs)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में रिज़र्व पोज़िशन
FCA: 3.569 अरब डॉलर की गिरावट, कुल हुआ 557.031 अरब डॉलर
स्वर्ण भंडार: 1.613 अरब डॉलर की बढ़ोतरी, कुल हुआ 105.795 अरब डॉलर
SDRs: 6.3 करोड़ डॉलर की वृद्धि, कुल हुआ 18.628 अरब डॉलर
IMF रिज़र्व पोज़िशन: 1.6 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी, कुल हुआ 4.772 अरब डॉलर
अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, वर्ष 2025 में अब तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 48 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले, 2024 में 20 अरब डॉलर और 2023 में 58 अरब डॉलर का इज़ाफ़ा हुआ था—जिससे 2022 के 71 अरब डॉलर की भारी गिरावट के झटके को संतुलित करने में मदद मिली थी।
विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढ़ाव कई कारकों से प्रभावित होता है—
RBI का विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप
अमेरिकी डॉलर, यूरो जैसी वैश्विक मुद्राओं में उतार-चढ़ाव
सोने और अन्य परिसंपत्तियों के मूल्य में बदलाव
RBI बाज़ार में सक्रिय भूमिका निभाता है—जब रुपये की कीमत मजबूत होती है तो डॉलर खरीदता है, और जब रुपये में कमजोरी आती है तो डॉलर बेचकर मुद्रा को स्थिर रखने का प्रयास करता है।
इस सप्ताह भारत के स्वर्ण भंडार में आई वृद्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में तेजी देखी जा रही है, जिसका कारण है—
बढ़ते भूराजनीतिक तनाव
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता
निवेशकों द्वारा सुरक्षित परिसंपत्तियों की बढ़ी मांग
भारत द्वारा बढ़ते सोने के भंडार से यह भी पता चलता है कि देश अपने कुल विदेशी मुद्रा भंडार को विविधीकृत करने की रणनीति अपना रहा है।
फॉरेक्स रिज़र्व किसी भी देश की आर्थिक सुरक्षा का महत्वपूर्ण आधार होता है। यह मदद करता है—
मुद्रा की स्थिरता बनाए रखने में
आर्थिक संकट की स्थिति में तरलता सुनिश्चित करने में
आयात और कर्ज़ भुगतान का समर्थन करने में
निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में
उच्च भंडार भारत को बाहरी झटकों—जैसे कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, रुपये में गिरावट या वैश्विक वित्तीय अस्थिरता—से निपटने में मजबूत बनाता है।
कुल भंडार: 686.227 अरब डॉलर (28 नवंबर 2025 तक)
साप्ताहिक परिवर्तन: 1.877 अरब डॉलर की गिरावट
FCA में कमी: 3.569 अरब डॉलर
स्वर्ण भंडार में वृद्धि: 1.613 अरब डॉलर
SDRs और IMF पोज़िशन: हल्की बढ़त
2025 में अब तक की वृद्धि: +48 अरब डॉलर
RBI की भूमिका: रुपये में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करके रिज़र्व को मजबूत बनाए रखना
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