दार्जिलिंग चिड़ियाघर में भारत का पहला वन्यजीव बायोबैंक खुला

भारत ने वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग स्थित पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान (PNHZP) में देश के पहले चिड़ियाघर-आधारित बायोबैंक की स्थापना की है। यह सुविधा जुलाई 2024 में कार्यात्मक हुई और इसका उद्देश्य संकटग्रस्त प्रजातियों के अनुवांशिक पदार्थों (DNA, कोशिकाएँ और ऊतक) को संरक्षित करना है। इसके साथ ही, प्राणी उद्यान ने एक पशु संग्रहालय भी शुरू किया है, जिससे वन्यजीव संरक्षण और अनुसंधान को और मजबूती मिलेगी। यह परियोजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कोशिकीय और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) के सहयोग से संचालित हो रही है, जो भारत की जैव विविधता संरक्षण रणनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

दार्जिलिंग चिड़ियाघर में बायोबैंक क्यों महत्वपूर्ण है?

PNHZP में स्थापित यह बायोबैंक एक ‘फ्रोजन जू’ के रूप में कार्य करेगा, जहाँ संकटग्रस्त प्रजातियों से प्राप्त डीएनए, कोशिका और ऊतक नमूनों को -196°C पर तरल नाइट्रोजन में क्रायोजेनिक विधि से संरक्षित किया जाएगा। यह विधि वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रजनन कार्यक्रमों और भविष्य में प्रजातियों के पुनर्जीवन प्रयासों के लिए उपयोगी होगी।

फरवरी 2025 तक, इस बायोबैंक ने 23 प्रजातियों के 60 से अधिक जानवरों के आनुवंशिक नमूने एकत्र किए हैं, जिनमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं, जो विलुप्त होने के उच्चतम जोखिम पर हैं। इस दीर्घकालिक आनुवंशिक भंडार का लक्ष्य वन्यजीवों के संरक्षण में वैज्ञानिकों की सहायता करना और जैव विविधता की हानि को रोकना है। यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित की जा रही है, जिसमें दिल्ली का राष्ट्रीय प्राणी उद्यान और ओडिशा का नंदनकानन प्राणी उद्यान भी भविष्य में ऐसे ही बायोबैंक स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।

नया पशु संग्रहालय क्या प्रदान करता है?

बायोबैंक के अलावा, PNHZP ने एक आधुनिक पैथोलॉजी प्रयोगशाला और कंकाल संग्रहालय भी शुरू किया है, जो संरक्षण और शैक्षिक प्रयासों को मजबूत करेगा।

  • पैथोलॉजी प्रयोगशाला: इस प्रयोगशाला में उन्नत चिकित्सा परीक्षण और रोग निदान संभव होगा, जिससे चिड़ियाघर के जानवरों के स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार आएगा। यह वन्यजीव रोगों और आनुवंशिक विकारों के शुरुआती पहचान में सहायक होगी।
  • कंकाल संग्रहालय: इस संग्रहालय में संकटग्रस्त प्रजातियों के कंकालों को संरक्षित किया गया है, जिससे उनकी शारीरिक संरचना और विकासवादी इतिहास की जानकारी मिलती है। यह संग्रहालय शोधकर्ताओं, छात्रों और आगंतुकों के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षिक संसाधन होगा।

पशु संग्रहालय का उद्घाटन 23 दिसंबर 2024 को पश्चिम बंगाल की वन मंत्री बिरबाहा हांसदा द्वारा किया गया।

दार्जिलिंग चिड़ियाघर का वन्यजीव संरक्षण में योगदान

14 अगस्त 1958 को स्थापित PNHZP हिमालयी क्षेत्र की उच्च-ऊँचाई वाली प्रजातियों के संरक्षण में अग्रणी रहा है। इसने लाल पांडा, हिम तेंदुआ और हिमालयी भेड़िया जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए कैप्टिव ब्रीडिंग प्रोग्राम (कैद में प्रजनन) को सफलतापूर्वक संचालित किया है।

2022 से 2024 के बीच, चिड़ियाघर ने 9 लाल पांडा को सिंगालीला राष्ट्रीय उद्यान में पुनः वन्यजीवन में छोड़ दिया, और इसका सकारात्मक परिणाम यह रहा कि इनमें से 5 पांडा ने प्राकृतिक वातावरण में जन्म लिया। इस उपलब्धि को 2024 वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जूज़ एंड एक्वेरियम्स (WAZA) कंजर्वेशन एंड एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के लिए नामांकित किया गया है।

भविष्य की संभावनाएँ

PNHZP में स्थापित बायोबैंक और पशु संग्रहालय भारत की वन्यजीव संरक्षण रणनीति में एक क्रांतिकारी पहल है। यह बायोडायवर्सिटी को संरक्षित करने के साथ-साथ वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध कराएगा।

आने वाले वर्षों में, यह बायोबैंक विलुप्त होने की कगार पर खड़ी प्रजातियों के पुनर्जीवन में भी अहम भूमिका निभा सकता है। तेजी से बदलते जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय खतरों के बीच, इस तरह की आनुवंशिक संरक्षण परियोजनाएँ वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को अधिक प्रभावी और सतत बनाएंगी।

देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे ही बायोबैंकों की स्थापना की योजनाएँ बनाई जा रही हैं, जिससे दार्जिलिंग चिड़ियाघर का यह प्रयास भविष्य की संरक्षण रणनीतियों के लिए एक मिसाल बनेगा।

पहलू विवरण
क्यों चर्चा में? दार्जिलिंग के पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान (PNHZP) ने भारत का पहला चिड़ियाघर-आधारित बायोबैंक और पशु संग्रहालय स्थापित किया।
संचालन की शुरुआत जुलाई 2024
सहयोगी संस्थान कोशिकीय और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
बायोबैंक का उद्देश्य संकटग्रस्त प्रजातियों के डीएनए, ऊतक और प्रजनन कोशिकाओं को एकत्रित और संरक्षित करना, जिससे भविष्य में अनुसंधान और संरक्षण प्रयासों में सहायता मिले।
भंडारण विधि क्रायोजेनिक संरक्षण (-196°C) तरल नाइट्रोजन का उपयोग करके।
वर्तमान संग्रह 23 संकटग्रस्त प्रजातियों के 60 पशु (फरवरी 2025 तक)।
अतिरिक्त सुविधाएँ पैथोलॉजी प्रयोगशाला: वन्यजीवों के स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए। – कंकाल संग्रहालय: शैक्षिक और अनुसंधान उद्देश्यों हेतु।
उद्घाटन तिथि 23 दिसंबर 2024, पश्चिम बंगाल की वन मंत्री बिरबाहा हांसदा द्वारा।
भविष्य की योजनाएँ दिल्ली का राष्ट्रीय प्राणी उद्यान और ओडिशा का नंदनकानन प्राणी उद्यान में भी इसी तरह के बायोबैंक स्थापित किए जाएंगे।
संरक्षण प्रभाव संकटग्रस्त प्रजातियों के पुनरुद्धार प्रयासों को समर्थन देने के साथ ही वन्यजीव अनुसंधान को सुदृढ़ करेगा।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

प्रधानमंत्री ने WHO ग्लोबल समिट में अश्वगंधा पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

नई दिल्ली में आयोजित द्वितीय WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र…

20 hours ago

भारत और नीदरलैंड ने संयुक्त व्यापार और निवेश समिति (JTIC) का गठन किया

भारत और नीदरलैंड्स ने अपने आर्थिक साझेदारी संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक…

21 hours ago

जम्मू-कश्मीर को अपना पहला Gen Z पोस्ट ऑफिस मिला

जम्मू-कश्मीर ने सार्वजनिक सेवाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।…

22 hours ago

ISRO ने RESPOND बास्केट 2025 लॉन्च किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने RESPOND Basket 2025 जारी किया है, जिसके तहत देशभर…

23 hours ago

PM मोदी ने किया गुवाहाटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 दिसंबर 2025 को असम में लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई…

24 hours ago

मिची बेंटहॉस अंतरिक्ष में जाने वाली पहली व्हीलचेयर यूज़र बनकर इतिहास रचेंगी

जर्मन एयरोस्पेस इंजीनियर मिची बेंटहॉस अंतरिक्ष यात्रा करने वाली पहली व्हीलचेयर उपयोगकर्ता व्यक्ति बनने जा…

1 day ago