भारत के सहकारी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के कोपरगांव स्थित सहकार महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना में देश की पहली सहकारी-संस्था द्वारा संचालित संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) और स्प्रे ड्रायर पोटाश ग्रैन्यूल परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना ऊर्जा, उर्वरक और कृषि अपशिष्ट उपयोग को एकीकृत करने वाली पहली पहल है, जो सहकारी मॉडल पर आधारित है।
परियोजना के प्रमुख विवरण
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इस संयंत्र में गन्ना प्रसंस्करण और अन्य जैविक अपशिष्ट से स्वच्छ ईंधन (CBG) तथा पोटाश ग्रैन्यूल उर्वरक दोनों का उत्पादन किया जाएगा।
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परियोजना का संचालन सहकारी मॉडल पर होगा, जिससे किसानों और स्थानीय हितधारकों को स्वामित्व और लाभ दोनों प्राप्त होंगे।
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उद्देश्य केवल एथेनॉल उत्पादन तक सीमित न रहकर, कृषि-आधारित उद्योगों में परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को बढ़ावा देना है।
परियोजना का महत्व
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इस मॉडल को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) का वित्तीय सहयोग प्राप्त है, जो देशभर में इसी प्रकार की परियोजनाओं को दोहराने में मदद करेगा।
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सरकार का लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारी संस्थाओं, महिला स्वयं-सहायता समूहों और क्रेडिट सोसाइटियों को मजबूत करना है।
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साथ ही, सरकार ने प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए 1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने की योजना बनाई है।
प्रमुख लाभ
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ऊर्जा आत्मनिर्भरता: CBG जीवाश्म ईंधन का विकल्प बनेगा, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी।
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मूल्य संवर्धन: कृषि अपशिष्ट को उर्वरक में बदलकर उत्पादन शृंखला को पूर्ण किया जाएगा।
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किसान आय में वृद्धि: स्थानीय किसानों को बायोमास आपूर्ति से अतिरिक्त आमदनी होगी।
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विस्तार योग्यता: सफल होने पर यह मॉडल देश के अन्य सहकारी शर्करा कारखानों में लागू किया जा सकेगा।
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पर्यावरण-अनुकूलता: अपशिष्ट प्रबंधन, उत्सर्जन में कमी और हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान।
चुनौतियाँ और सावधानियाँ
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एकीकृत संयंत्र की तकनीकी विश्वसनीयता और क्षमता उपयोग सुनिश्चित करना।
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कृषि अपशिष्ट की निरंतर और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति शृंखला बनाए रखना।
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किसानों, श्रमिकों और सहकारी सदस्यों के बीच लाभ का निष्पक्ष वितरण।
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संचालन एवं रखरखाव लागत तथा लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान।
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पर्यावरणीय स्वीकृतियों और उत्सर्जन मानकों का पालन।
महत्वपूर्ण तथ्य (Static Facts)
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परियोजना का प्रकार: भारत की पहली सहकारी-संस्था द्वारा संचालित CBG + पोटाश ग्रैन्यूल परियोजना
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स्थान: कोपरगांव, महाराष्ट्र
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संस्था: सहकार महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना
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मॉडल विस्तार: 15 सहकारी शर्करा कारखानों में दोहराया जाएगा
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सहयोगी संस्था: राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)
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मुख्य फोकस: परिपत्र अर्थव्यवस्था, ऊर्जा विविधीकरण, ग्रामीण आय सशक्तिकरण


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