मार्च 2025 में भारत ने निर्यात में मामूली वृद्धि और आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की। इस दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 21.54 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो चालू खाता पर दबाव को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2024–25 में माल निर्यात लगभग स्थिर रहा, जबकि सेवाओं सहित कुल व्यापार में मध्यम वृद्धि देखी गई। यह सेवा निर्यात की मजबूती को दर्शाता है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद टिकाऊ बनी रही।
मुख्य बिंदु
मार्च 2025 व्यापार डेटा
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निर्यात: वार्षिक आधार पर 0.7% की वृद्धि के साथ $41.97 अरब हुआ।
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आयात: 11.3% की बढ़ोतरी के साथ $63.51 अरब पर पहुँचा।
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व्यापार घाटा: बढ़कर $21.54 अरब हो गया, जो आयात में तेज़ वृद्धि के कारण हुआ।
वित्त वर्ष 2024–25 (अप्रैल 2024–मार्च 2025)
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कुल माल निर्यात: $437.42 अरब, वार्षिक आधार पर मात्र 0.08% की वृद्धि।
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कुल माल आयात: $720.24 अरब, 6.62% की सालाना वृद्धि।
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कुल निर्यात (माल + सेवाएं): 5.5% बढ़कर $820.93 अरब तक पहुँचा।
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कुल व्यापार घाटा: आयात मांग बढ़ने के कारण ऊँचा बना रहा।
व्यापार प्रवृत्तियों के कारण
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मध्यम वैश्विक मांग: भारत के माल निर्यात पर असर पड़ा।
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आयात में उछाल: ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक कच्चे माल के अधिक आयात से वृद्धि।
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सेवा क्षेत्र: कुल निर्यात वृद्धि में मज़बूत योगदान करता रहा।
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उच्च आधार प्रभाव: निर्यात आंकड़े मार्च 2024 की मजबूत तुलना में अपेक्षाकृत कम रहे।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
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व्यापार घाटा बढ़ने से चालू खाता घाटा (CAD) पर दबाव पड़ सकता है।
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आयात बिल बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित हो सकता है।
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निर्यात में विविधता और आयात प्रतिस्थापन नीतियों की आवश्यकता महसूस हो रही है।