भारत के रोजगार परिदृश्य में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। नवीनतम वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2024 के बीच बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% हो गई है। कार्यबल जनसंख्या अनुपात (WPR), जो कामकाजी आयु वर्ग की आबादी के रोजगार का प्रतिशत दर्शाता है, इस अवधि में 46.8% से बढ़कर 58.2% हो गया। यह COVID-19 महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद मजबूत रोजगार सृजन को प्रदर्शित करता है। यह “नौकरियों के बिना विकास” की पूर्व धारणा से अलग भारत की आर्थिक और रोजगार वृद्धि में प्रगति को दर्शाता है।
भारत में रोजगार वृद्धि के प्रमुख रुझान
- महत्वपूर्ण रोजगार सृजन: 2016-17 से 2022-23 के बीच रोजगार में 36% की वृद्धि हुई, जिसमें 17 करोड़ नई नौकरियां जोड़ी गईं। इस अवधि में भारत की जीडीपी वृद्धि औसतन 6.5% रही, जो “बेरोजगारी वाले विकास” के मिथक को दूर करती है।
- श्रम बाजार में मजबूती: आरबीआई के KLEMS डाटाबेस के अनुसार, 1980 के दशक से रोजगार में लगातार वृद्धि हुई है। 2017-2023 के बीच WPR में लगभग 26% की वृद्धि हुई है, जो विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत रोजगार सृजन को दर्शाता है।
रोजगार वृद्धि के आर्थिक चालक
- उपभोग-आधारित विकास: बढ़ती खपत सीधे तौर पर रोजगार सृजन से जुड़ी है। जैसे-जैसे खपत बढ़ती है, रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं, खासकर संगठित और भुगतान वाले क्षेत्रों में।
- क्षेत्रीय रोजगार बदलाव: कृषि क्षेत्र अभी भी भारत की 45% से अधिक कार्यबल को रोजगार देता है, लेकिन विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की ओर उल्लेखनीय बदलाव देखा गया है। बड़े औद्योगिक इकाइयों ने छोटे उद्योगों की तुलना में अधिक नौकरियां प्रदान की हैं।
युवा, महिला और गिग कार्यबल का विकास
- युवा रोजगार: युवाओं (15-29 आयु वर्ग) के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8% से घटकर 2022-23 में 10% हो गई है, जो बेहतर रोजगार अवसरों को दर्शाती है।
- महिला श्रम बल भागीदारी: महिलाओं की कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने महिला रोजगार में निरंतर वृद्धि की है।
- गिग अर्थव्यवस्था का विकास: भारत की गिग अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। इस क्षेत्र का कार्यबल 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
आर्थिक सर्वेक्षण और रोजगार रुझान
- सुधरे हुए श्रम बाजार संकेतक: भारत के नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण में रोजगार में सकारात्मक प्रवृत्ति की पुष्टि की गई है। FY 2023 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2% हो गई। संगठित क्षेत्र की वृद्धि EPFO पेरोल में वृद्धि से स्पष्ट है, जो FY 2019 के 61.1 लाख से FY 2024 में 131.5 लाख तक दोगुनी हो गई।
- विनिर्माण और एआई का प्रभाव: विनिर्माण क्षेत्र में स्वचालन के बावजूद विकास के अवसर बने हुए हैं। साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास से भविष्य में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
भारत का आर्थिक परिदृश्य और भविष्य की संभावनाएं
- जीडीपी वृद्धि: FY 2023-24 में भारत की वास्तविक GDP 8.2% बढ़ने का अनुमान है, जो FY 2022-23 के 7% से अधिक है। विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन के कारण यह वृद्धि रोजगार सृजन और आर्थिक विस्तार के बीच के संबंध को मजबूत करती है। भारत को एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रही है।
समाचार का सारांश
Why in News | Key Points |
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भारत में बेरोजगारी दर | – भारत की बेरोजगारी दर 7 वर्षों (2017-2024) में 6% से घटकर 3.2% हो गई। |
– श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 2017-18 में 46.8% से बढ़कर 2023-24 में 58.2% हो गया। | |
– 2016-17 से 2022-23 तक रोजगार में 36% (170 मिलियन नौकरियां) की वृद्धि हुई। | |
– इस अवधि के दौरान आर्थिक वृद्धि (जीडीपी) औसतन 6.5% रही। | |
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 | – वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2% बढ़ने का अनुमान है। |
–वित्त वर्ष 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र में 9.9% और खनन एवं उत्खनन क्षेत्र में 7.1% की वृद्धि होगी। | |
महिला एवं युवा रोजगार | – सहायक नीतियों के कारण महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ रही है। |
– युवा बेरोजगारी दर 17.8% (2017-18) से घटकर 10% (2022-23) हो गई। | |
गिग इकॉनमी | – भारत के गिग इकोनॉमी कार्यबल के 2029-30 तक 23.5 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। |
क्षेत्रीय रोजगार रुझान | – कृषि अभी भी 45% कार्यबल को रोजगार देती है, लेकिन विनिर्माण और सेवाएं बढ़ रही हैं। |
ईपीएफओ पेरोल वृद्धि | – ईपीएफओ का शुद्ध पेरोल योग 61.1 लाख (वित्त वर्ष 2019) से बढ़कर 131.5 लाख (वित्त वर्ष 2024) हो गया। |
उपभोग-संचालित आर्थिक विकास | – उपभोग-संचालित वृद्धि रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण कारक रही है। |
प्रमुख आर्थिक आंकड़े | – वित्त वर्ष 2023-24 में नाममात्र जीडीपी में 9.6% की वृद्धि हुई, और वास्तविक जीवीए में 7.2% की वृद्धि हुई। |
– 2023-24 में वास्तविक जीडीपी ₹173.82 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान। | |
महत्वपूर्ण रिपोर्ट | – ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट “बेरोजगारी विकास” की कहानी को चुनौती देती है। |
प्रमुख रोजगार योजना | – महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार वृद्धि में योगदान दे रहा है। |