भारत के बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों में अप्रैल 2025 में भारी सुस्ती दर्ज की गई, जहाँ विकास दर घटकर सिर्फ 0.5% रह गई — यह पिछले आठ महीनों की सबसे निचली वृद्धि दर है। रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक और कच्चे तेल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में गिरावट प्रमुख कारण रहे। केवल कोयला और प्राकृतिक गैस क्षेत्रों में थोड़ी सकारात्मक वृद्धि देखी गई। अप्रैल 2024 में 6.9% की उच्च आधार वृद्धि के चलते भी मौजूदा आंकड़ा तुलनात्मक रूप से कमजोर दिखाई दिया।
क्यों चर्चा में है?
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का कोर इंडस्ट्रीज़ इंडेक्स (ICI) — जो औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का 40.27% हिस्सा है — अप्रैल 2025 में केवल 0.5% बढ़ा। यह मार्च 2025 में 4.6% और अप्रैल 2024 में 6.9% की तुलना में बहुत कम है।
प्रमुख बिंदु:
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अप्रैल 2025 कोर क्षेत्र वृद्धि: 0.5% (8 माह की न्यूनतम)
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मार्च 2025 (संशोधित): 4.6%
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अप्रैल 2024: 6.9%
क्षेत्रवार प्रदर्शन:
क्षेत्र | वृद्धि दर |
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सीमेंट | +6.7% (6 माह में सबसे कम) |
इस्पात (स्टील) | +3% |
बिजली | +1% (7 माह में सबसे कम) |
कोयला | +3.5% (3 माह में उच्चतम) |
प्राकृतिक गैस | +0.4% (10 माह में पहली वृद्धि) |
कच्चा तेल | –2.8% (लगातार चौथी गिरावट) |
रिफाइनरी उत्पाद | –4.5% (नवंबर 2022 के बाद सबसे तीव्र गिरावट) |
उर्वरक | –4.2% (11 माह में पहली गिरावट) |
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इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च: टैरिफ और उच्च आधार प्रभाव के कारण कोर सेक्टर कमजोर; अप्रैल IIP 1–2% रह सकता है।
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बैंक ऑफ बड़ौदा: निराशाजनक कोर ग्रोथ; IIP 1–1.5% रहने की संभावना।
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ICRA: कमजोर कोर डेटा के कारण IIP लगभग 1% रहने का अनुमान; हालांकि नॉन-ऑयल एक्सपोर्ट से कुछ राहत संभव।
स्थैतिक जानकारी:
आठ कोर इंडस्ट्रीज़:
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कोयला
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कच्चा तेल
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प्राकृतिक गैस
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रिफाइनरी उत्पाद
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उर्वरक
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इस्पात
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सीमेंट
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बिजली
ये कुल IIP का 40.27% योगदान करते हैं।
महत्व:
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कोर सेक्टर में तेज गिरावट औद्योगिक मंदी का अग्र संकेतक है।
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यह GDP वृद्धि, मौद्रिक नीति, और निवेश भावना पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
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यह दर्शाता है कि वैश्विक और घरेलू अनिश्चितताओं के बीच भारत की औद्योगिक रिकवरी अब भी नाजुक है।