इसरो ने भारत का लक्ष्य 2030 तक मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन हासिल करना रखा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 16 अप्रैल 2024 को घोषणा की कि भारत का लक्ष्य 2030 तक मलबा मुक्त अंतरिक्ष का निर्माण करना है। बेंगलुरु में 42वीं अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने यह घोषणा की है। इस दौरान इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि जहाँ तक भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण और अंतरिक्ष उपयोग का सवाल है तो इसरो के पास एक बहुत ही स्पष्ट योजना है।

इस उद्देश्य को घोषित करते हुए, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि इसके लिए सभी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों का सहयोग लिया जाएगा। इस पहल के तहत, अंतरिक्ष की स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सावधानी से कार्रवाई की जाएगी। इसरो अध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान में 54 अंतरिक्ष यान क्रियाशील हैं, और सक्रिय नहीं कुछ अन्य वस्तुओं का भी निपटान किया जाएगा।

 

मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन

  • सोमनाथ ने कहा कि इस पहल का लक्ष्य 2030 तक सरकारी और गैर-सरकारी सहित सभी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के जरिए मलबा मुक्त अंतरिक्ष का निर्माण करना है। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ के अनुसार, वर्तमान में, हमारी कक्षा में 54 अंतरिक्ष यान क्रियाशील हैं, साथ ही काम न कर रहीं कुछ अन्य वस्तुएं भी माजूद हैं।
  • इसरो प्रमुख ने कहा कि हम वहां बहुत सावधानी से कार्रवाई कर रहे हैं। जहां भी कक्षा से अलग होने पर अंतरिक्ष वस्तुओं का निपटान करना या उनकी सक्रिय भूमिका को खत्म करना संभव है। इन्हें एक सुरक्षित स्थान पर लाना उन महत्वपूर्ण विषयों में से एक है, जिस पर हम कार्रवाई करते हैं।

 

इसरो ने विकसित किया हल्का नोजल

  • इसरो ने रॉकेट इंजनों के लिए हल्का नोजल तैयार किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि रॉकेट इंजनों के लिए हल्के कार्बन-कार्बन (सी-सी) नोजल के विकास के साथ रॉकेट इंजन प्रौद्योगिकी में बड़ी सफलता हासिल की है, जिससे उसकी पेलोड क्षमता भी बढ़ी है।
  • ग्रीन कंपोजिट के कार्बोनाइजेशन और उच्च तापमान उपचार जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग करके, इसने कम घनत्व, उच्च विशिष्ट शक्ति और उत्कृष्ट कठोरता के साथ एक नोजल तैयार किया है। यह ऊंचे तापमान पर भी यांत्रिक गुणों को बनाए रखने में सक्षम है।

 

बढ़ेगी लॉन्च वाहनों की पेलोड क्षमता

इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा तैयार किया गया यह रॉकेट इंजन की क्षमता और मापदंडों को बढ़ाने का दावा करता है। इससे लॉन्च वाहनों की पेलोड क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा। तिरुवनंतपुरम स्थित वीएसएससी ने कार्बन-कार्बन (सी-सी) कंपोजिट जैसी उन्नत सामग्रियों का लाभ उठाकर नोजल डाइवर्जेंट बनाया।

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

MEITY और MEA ने DigiLocker के जरिए पेपरलेस पासपोर्ट वेरिफिकेशन शुरू किया

भारत में डिजिटल इंडिया को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY)…

3 hours ago

RBI मौद्रिक नीति दिसंबर 2025: दरों में कटौती और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ZL के तहत भारत की मौद्रिक नीति समिति…

4 hours ago

ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी 2026 तक गुरुग्राम में अपना पहला भारतीय कैंपस खोलेगी

भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ऑस्ट्रेलिया की…

5 hours ago

जानें कैसे 29 साल की लड़की बनी दुनिया की सबसे युवा सेल्फ-मेड महिला अरबपति

सिर्फ 29 साल की उम्र में लुवाना लोप्स लारा (Luana Lopes Lara) ने दुनिया की…

5 hours ago

World Soil Day 2025: जानें मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है। मृदा को आम बोलचाल…

6 hours ago

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम…

6 hours ago