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भारतीय रेलवे ने बिना प्रीमियम के कर्मचारियों को ₹1 करोड़ का दुर्घटना मुआवजा देने की पेशकश की

भारतीय रेलवे ने अपने कर्मचारियों की आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवज़ा देने की योजना शुरू की है, जिसमें कर्मचारियों से कोई प्रीमियम नहीं लिया जाएगा। यह पहल रेलवे कर्मचारियों और उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है, क्योंकि उनकी नौकरियां उच्च जोखिम वाली मानी जाती हैं।

क्यों है यह खबर में?

यह योजना तब चर्चा में आई जब मुरादाबाद मंडल के लोको पायलट सुशील लाल की ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी प्रिया सिंह को 21 जून 2025 को दिल्ली में ₹1 करोड़ का चेक उत्तरी रेलवे अधिकारियों द्वारा सौंपा गया। यह इस योजना के तहत दिया गया पहला मुआवज़ा था।

योजना कैसे काम करती है?

  • कर्मचारियों को कोई प्रीमियम नहीं देना होता है।

  • सैलरी खाता “सैलरी पैकेज खाता” (Salary Package Account) के रूप में रजिस्टर्ड होना चाहिए।

  • भारतीय रेलवे द्वारा चयनित बैंकों के साथ साझेदारी के अंतर्गत यह योजना लागू होती है।

  • मृत्यु कहीं भी हो सकती है — ड्यूटी पर, ड्यूटी से बाहर या निजी यात्रा पर — यह योजना सभी मामलों पर लागू होती है।

बैंक साझेदारी और खाता आवश्यकताएं

  • रेलवे ने SBI सहित देश के प्रमुख बैंकों के साथ करार किया है।

  • कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनका सैलरी खाता संबंधित बैंक में सैलरी पैकेज अकाउंट में बदला गया हो।

  • दुर्घटनावश मृत्यु की स्थिति में बैंक द्वारा सीधे ₹1 करोड़ का भुगतान नामित व्यक्ति को किया जाएगा।

पहला लाभार्थी: सुशील लाल का मामला

  • मार्च 2025 में ड्यूटी पूरी करने के बाद ट्रेन से उतरते समय गिरने से मृत्यु हुई।

  • उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चों (8 और 5 वर्ष के) को SBI द्वारा शीघ्र मुआवज़ा दिया गया।

  • रेलवे और बैंक दोनों ने परिवार को सहायता प्रदान की।

जागरूकता और क्रियान्वयन

रेलवे योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है:

  • रेलवे स्टेशनों और कार्यालयों में पोस्टर और सूचना बोर्ड

  • प्रमुख यूनियनों की सहायता जैसे:

    • ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (AIRF)

    • नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (NFIR)

महत्त्व और लाभ

  • जोखिमपूर्ण कार्यों में लगे कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सुरक्षा

  • कोई प्रीमियम नहीं — कर्मचारियों पर कोई वित्तीय बोझ नहीं।

  • कर्मचारियों में उत्साह और भरोसे की भावना बढ़ेगी।

  • रेलवे की कल्याणकारी सोच और कर्मचारी-हितैषी छवि को मजबूती मिलेगी।

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