भारत की समुद्री रक्षा क्षमता को नई शक्ति देने की दिशा में भारतीय नौसेना 26 अगस्त 2025 को विशाखापट्टनम नौसैनिक अड्डे पर प्रोजेक्ट-17A की दो उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट्स—आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि—को कमीशन करने जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में होने वाला यह अनोखा डुअल कमीशनिंग पहली बार होगा जब अलग-अलग भारतीय शिपयार्ड्स में निर्मित दो बड़े सतही युद्धपोत एक साथ नौसेना में शामिल किए जाएंगे।
आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि प्रोजेक्ट-17 (शिवालिक श्रेणी) के उत्तराधिकारी हैं। ये युद्धपोत अत्याधुनिक डिजाइन और बहुउद्देशीय क्षमता से लैस हैं, जिन्हें ब्लू वॉटर परिस्थितियों (गहरे समुद्रों में वैश्विक स्तर पर संचालन करने की क्षमता) में मिशन पूरे करने के लिए तैयार किया गया है।
राडार सिग्नेचर कम करने वाला उन्नत स्टील्थ डिजाइन
एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) – सभी प्रणालियों का केंद्रीकृत नियंत्रण
CODOG प्रणोदन प्रणाली (Combined Diesel or Gas) – उच्च प्रदर्शन के लिए
अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार और सेंसर सूट
लगभग 75% स्वदेशी सामग्री के साथ ये युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को साकार करते हैं और भारत की सामरिक स्वायत्तता को मजबूत बनाते हैं।
आईएनएस उदयगिरि – मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई
आईएनएस हिमगिरि – गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता
यह सहयोग भारत के प्रमुख रक्षा शिपयार्ड्स के बीच तालमेल और मॉड्यूलर निर्माण पद्धति का उदाहरण है, जिससे निर्माण समय में कमी आई। उल्लेखनीय है कि उदयगिरि अपने वर्ग का सबसे तेज़ी से डिलीवर किया गया युद्धपोत है, जो भारत की परिपक्व होती नौसैनिक उत्पादन क्षमता को दर्शाता है।
पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरि (F35) और आईएनएस हिमगिरि (F34) ने तीन दशकों से अधिक समय तक नौसेना में सेवा दी थी।
उनके नामों को पुनः जीवित कर भारतीय नौसेना अपने अतीत को सम्मान देते हुए भविष्य की क्षमता का प्रतीक प्रस्तुत कर रही है।
आईएनएस उदयगिरि विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया 100वां युद्धपोत है। पाँच दशकों में अर्जित इस विशेषज्ञता ने भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल कर दिया है जो स्वयं जटिल युद्धपोत डिजाइन, निर्माण और संचालन करने में सक्षम हैं।
निर्माण प्रक्रिया में सैकड़ों भारतीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) ने भागीदारी की, जिससे मेक इन इंडिया और रक्षा निर्माण पारितंत्र को बल मिला।
कमीशनिंग के बाद उदयगिरि और हिमगिरि को नौसेना की ईस्टर्न फ़्लीट में शामिल किया जाएगा। इससे हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की समुद्री तैयारी और निगरानी क्षमता में वृद्धि होगी। यह कदम बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भारत के पूर्वी समुद्री क्षेत्र पर रणनीतिक फोकस को भी उजागर करता है।
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