भारतीय माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र: 12 वर्षों में 2,100% की वृद्धि

पिछले 12 वर्षों में भारत के माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र ने अद्भुत विस्तार किया है। मार्च 2012 में ₹17,264 करोड़ से बढ़कर नवंबर 2024 तक यह कारोबार ₹3.93 लाख करोड़ तक पहुँच गया, जो 2,100% से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। इस महत्वपूर्ण वृद्धि ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और देशभर में आर्थिक विकास का समर्थन करने में इस क्षेत्र की अहम भूमिका को रेखांकित किया है।

भारतीय माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र: 2,100% वृद्धि के मुख्य बिंदु

1. राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार:
माइक्रोफाइनेंस संस्थान (एमएफआई) अब 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 723 जिलों में कार्यरत हैं, जिसमें 111 आकांक्षी जिले भी शामिल हैं। ये करीब 8 करोड़ उधारकर्ताओं को सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।

2. आर्थिक प्रभाव:
यह क्षेत्र भारत के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 2.03% का योगदान देता है और लगभग 1.3 करोड़ नौकरियों का समर्थन करता है, जिससे इसकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका साबित होती है।

3. चुनौतियाँ और सुझाव:
हालांकि यह क्षेत्र तेजी से बढ़ा है, एमएफआई को कम लागत वाले दीर्घकालिक धन जुटाने और पोर्टफोलियो गुणवत्ता से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उद्योग प्रतिनिधियों ने एमएफआई के लिए विशेष क्रेडिट गारंटी योजनाओं, पूर्वोत्तर में काम कर रहे संस्थानों के लिए विशेष फंड और जोखिम को विविधीकृत करने के लिए पात्र संपत्ति मानदंडों में छूट की सिफारिश की है।

4. डिजिटल परिवर्तन:
प्रभावशीलता और पहुँच को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल ऋण वितरण और पुनर्भुगतान सहित डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

भारतीय माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र की 2012 में ₹17,264 करोड़ से 2024 में ₹3.93 लाख करोड़ तक की यात्रा वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। वर्तमान चुनौतियों का समाधान और डिजिटल प्रगति को अपनाना इस विकास पथ को बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा।

समाचार में क्यों? मुख्य बिंदु
भारतीय माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र की वृद्धि – पिछले 12 वर्षों में 2,100% से अधिक की वृद्धि (2012 में ₹17,264 करोड़ से 2024 में ₹3.93 लाख करोड़ तक)।
GVA में योगदान – भारत के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 2.03% का योगदान।
उधारकर्ता और भौगोलिक पहुंच – 723 जिलों (111 आकांक्षी जिलों सहित) में लगभग 8 करोड़ उधारकर्ताओं को सेवा प्रदान करता है।
नौकरी समर्थन – लगभग 1.3 करोड़ नौकरियों का समर्थन करता है।
उद्योग की चुनौतियाँ – कम लागत वाले दीर्घकालिक धन जुटाने में कठिनाई और पोर्टफोलियो गुणवत्ता संबंधी चिंताएँ।
क्षेत्र के लिए सिफारिशें – एमएफआई के लिए क्रेडिट गारंटी योजनाओं की माँग और पात्र संपत्ति मानदंडों में छूट।
डिजिटल परिवर्तन – प्रभावशीलता में सुधार के लिए डिजिटल ऋण वितरण और पुनर्भुगतान पर जोर।
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vikash

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