भारत ने बांध बनाकर रोका पाकिस्तान जाने वाला रावी नदी का पानी

भारत ने पाकिस्‍तान की ओर जाने वाले रावी नदी के पानी को रोक दिया है। हिंदुस्‍तान ने 45 साल से पूरा होने का इंतजार कर रहे बांध का निर्माण कर रावी नदी से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोका है। विश्व बैंक की देखरेख में 1960 में हुई ‘सिंधु जल संधि’ के तहत रावी के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच विवाद के कारण रुका हुआ था। लेकिन इसके कारण बीते कई वर्षों से भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में जा रहा था।

 

दशकों की चुनौतियों पर काबू पाना

  • यह परियोजना 1995 में पूर्व प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव द्वारा शुरू की गई थी।
  • जम्मू-कश्मीर और पंजाब सरकारों के बीच विवादों के कारण कई बाधाओं का सामना करना पड़ा।

 

लंबे समय से प्रतीक्षित स्वीकृति

  • केंद्र सरकार ने दिसंबर 2018 में परियोजना पर काम फिर से शुरू करने की मंजूरी दे दी।
  • वर्षों की असफलताओं के बाद इसे पूरा करने के लिए नई प्रतिबद्धता।

 

जल प्रबंधन पर परिवर्तनकारी प्रभाव

  • 1960 की सिंधु जल संधि के अनुसार, भारत रावी, सतलज और ब्यास नदियों पर विशेष अधिकार रखता है।
  • पाकिस्तान में पानी का प्रवाह बंद करने से जम्मू-कश्मीर और पंजाब को फायदा होगा।

 

जलविद्युत शक्ति का दोहन

  • बैराज से 206 मेगावाट बिजली पैदा होने का अनुमान है।
  • विशेष रूप से पंजाब में ऊर्जा की कमी को दूर करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद है।

 

समापन की ओर प्रगति

  • कार्यकारी अभियंता ने तालाब निर्माण प्रक्रिया शुरू होने की पुष्टि की है।
  • रणजीत सागर बांध से शाहपुर-कांडी बैराज के लिए व्यवस्थित रूप से पानी छोड़ा गया।
  • अपेक्षित बांध की ऊंचाई 90 दिनों के भीतर प्राप्त होने की उम्मीद है।

 

जल प्रबंधन क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना

  • परियोजना जल प्रबंधन क्षमताओं को बढ़ाने की भारत की रणनीति का हिस्सा है।
  • IWT प्रावधानों के तहत पश्चिमी नदियों पर कई भंडारण कार्य पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं।
  • सतलज पर बकरा बांध, ब्यास पर पोंग और पंडोह बांध और रावी पर थीन (रंजीतसागर) बांध हैं।
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vikash

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