प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए भारतीय सेना ने उच्च-स्तरीय ऑपरेशन सिंदूर के दौरान व्हाट्सऐप जैसी व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली मैसेजिंग सेवाओं को अपने स्वदेशी “संभव” सिस्टम से प्रतिस्थापित कर दिया। इस रणनीतिक बदलाव ने न केवल संचार की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत के व्यापक लक्ष्य को भी सशक्त रूप से प्रतिबिंबित किया।
संचार सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़े कदम के तहत भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लोकप्रिय लेकिन संवेदनशील मैसेजिंग ऐप्स जैसे व्हाट्सऐप को छोड़कर स्वदेशी मोबाइल इकोसिस्टम “संभव” को अपनाया। मई 2025 में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू किए गए इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी सैन्य संचार प्रणाली को जासूसी और साइबर खतरों से सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) की नेशनल मैनेजमेंट कन्वेंशन में बोलते हुए इस बदलाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सेना अब “व्हाट्सऐप और अन्य ऐप्स का उपयोग नहीं कर रही है” और उसकी जगह संभव को संचालनात्मक कमांड और संचार के लिए तैनात किया गया है, जिसमें और भी उन्नयन की प्रक्रिया चल रही है।
संभव (Secure Army Mobile Bharat Version) एक सुरक्षित, 5G-आधारित संचार प्लेटफ़ॉर्म है जिसे आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। जनवरी 2024 में पेश किया गया यह सिस्टम विदेशी मोबाइल ऐप्स की जगह लेने के लिए बनाया गया है, ताकि सेना को विशेष रूप से सैन्य जरूरतों के अनुरूप एक अधिक सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड विकल्प उपलब्ध कराया जा सके।
कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन : डाटा लीक और जासूसी से बचाव के लिए बहु-स्तरीय एन्क्रिप्शन।
5G-सक्षम हैंडसेट : उच्च गति और निर्बाध मोबाइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने वाले 5G तैयार उपकरण।
नेटवर्क-अज्ञेय कार्यक्षमता : सार्वजनिक सेवा प्रदाताओं जैसे जियो और एयरटेल के साथ भी सहजता से काम करने की क्षमता।
एम-सिग्मा ऐप : व्हाट्सऐप का भारतीय विकल्प, जो सुरक्षित मैसेजिंग और फाइल ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करता है।
प्री-लोडेड कॉन्टैक्ट डायरेक्टरी : सेना के जवानों के बीच तुरंत आंतरिक संचार सुनिश्चित करने के लिए पहले से लोड किए गए संपर्क।
अनुसंधान संस्थानों और तकनीकी कंपनियों का सहयोग : भारतीय अनुसंधान संस्थानों और टेक फर्मों के सहयोग से विकसित, संभव राज्य और निजी क्षेत्र की साझेदारी पर आधारित एक सहयोगात्मक रक्षा नवाचार मॉडल को दर्शाता है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में एक समन्वित अभियान चलाया। इस मिशन को “पूरे राष्ट्र की भागीदारी वाला दृष्टिकोण” कहा गया, जिसमें केवल सैनिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक और नीतिनिर्माता भी एक साथ जुड़े।
पूरे अभियान के दौरान संचार के लिए संभव स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया गया—मैदान में तैनात जवानों से लेकर शीर्ष कमांडरों तक सभी स्तरों पर। सुरक्षित नेटवर्क ने किसी भी प्रकार की खुफिया जानकारी के लीक को रोका, जो उच्च-जोखिम वाले अभियानों में एक बड़ी चुनौती होती है।
यह पहली बार था जब संभव का बड़े पैमाने पर किसी सैन्य अभियान में इस्तेमाल हुआ, जिसने संवेदनशील और उच्च दांव वाले माहौल में इसकी वास्तविक क्षमता को प्रमाणित किया।
संभव का उपयोग केवल ऑपरेशन सिंदूर तक सीमित नहीं रहा। भारतीय सेना ने अक्टूबर 2024 में चीन के साथ हुई सैन्य वार्ताओं के दौरान भी इन सुरक्षित उपकरणों का उपयोग किया, जिससे उनकी कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी विश्वसनीयता और सिद्ध हुई।
साल 2025 तक लगभग 30,000 संभव डिवाइस सेना अधिकारियों को वितरित किए जा चुके थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सेना पूरी तरह से थर्ड-पार्टी ऐप्स और प्लेटफॉर्म से हटकर अपने सुरक्षित सिस्टम पर जा रही है।
यह कदम भारत की साइबर संप्रभुता (Cyber Sovereignty) की दिशा में भी एक मजबूत पहल है, जिसके तहत महत्वपूर्ण रक्षा अवसंरचना को विदेशी निगरानी और हैकिंग प्रयासों से बचाया जा रहा है।
संभव की ओर बदलाव भारत की सैन्य संचार रणनीति में एक निर्णायक मोड़ है। वाणिज्यिक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म विदेशी नियमों और निगरानी जोखिमों से प्रभावित रहते हैं, जबकि संभव पूरी तरह भारत की सुरक्षा प्रणाली के दायरे में नियंत्रित है।
आज के दौर में, जहाँ हाइब्रिड युद्ध (Hybrid Warfare) पारंपरिक युद्ध को साइबर खतरों के साथ जोड़ता है, वहाँ सुरक्षित संचार उपकरण जैसे संभव अनिवार्य हो जाते हैं। जैसा कि जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा, आने वाले युद्ध में “बूट्स और बॉट्स साथ-साथ होंगे,” जो आधुनिक सैन्य अभियानों में प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका को दर्शाता है।
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