भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2014 में 4,780 मेगावाट से बढ़कर 2024 में 8,081 मेगावाट हो गई है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि यह प्रगति मात्र एक दशक में हासिल की गई है, जबकि इससे पहले इतनी वृद्धि में 60 से अधिक वर्षों का समय लगता था। सरकार के राजनीतिक नेतृत्व और तकनीकी विशेषज्ञता ने इस प्रगति को संभव बनाया है। 2031-32 तक भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 22,480 मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है, जिससे भारत परमाणु ऊर्जा में अपनी अग्रणी भूमिका को और मजबूत करेगा।
मुख्य उपलब्धियां और विकास
- 2014-2024 के बीच वृद्धि: भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 10 वर्षों में 4,780 मेगावाट से बढ़कर 8,081 मेगावाट हो गई है।
- भविष्य का लक्ष्य: 2031-32 तक क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 22,480 मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य।
- नेतृत्व और तकनीकी विशेषज्ञता: राजनीतिक नेतृत्व और तकनीकी उन्नति ने इस क्षेत्र में प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया।
बिजली वितरण पर प्रभाव
- संशोधित वितरण सूत्र: नई वितरण नीति के तहत 50% बिजली घरेलू राज्य में, 35% पड़ोसी राज्यों को, और 15% राष्ट्रीय ग्रिड को आवंटित की जाती है, जिससे न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित होता है।
- राज्य विशेष देरी: तमिलनाडु (जैसे तिरुनेलवेली परियोजना) में कुछ परियोजनाएं विलंबित हैं, जबकि कुडनकुलम और कलपक्कम जैसी परियोजनाओं में प्रगति हुई है।
परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग
- नवीन उपयोग: कृषि (70 उत्परिवर्ती फसल किस्मों के माध्यम से) और स्वास्थ्य क्षेत्र (आइसोटोप का उपयोग कर कैंसर का उपचार) में परमाणु ऊर्जा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- थोरियम भंडार और स्थिरता: भारत के पास विश्व के 21% थोरियम भंडार हैं। भाभिनी परियोजनाओं जैसी पहल के माध्यम से यूरेनियम पर निर्भरता को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।