उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI), जो भारत में खुदरा महंगाई मापने का प्रमुख संकेतक है, जल्द ही एक बड़े बदलाव से गुजरेगा। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, CPI की वस्तु टोकरी (Basket) को विस्तृत किया जाएगा और इसका आधार वर्ष (Base Year) 2024 किया जाएगा, जो गृह उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) 2023–24 के निष्कर्षों पर आधारित होगा। यह बदलाव उपभोक्ता व्यवहार में आए परिवर्तनों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने और आर्थिक नीति निर्माण को अधिक सटीक बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
समाचार में क्यों?
सांख्यिकी राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने हाल ही में घोषणा की कि भारत:
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वर्तमान में उपयोग की जा रही 299 वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं को CPI में शामिल करेगा।
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CPI का आधार वर्ष 2012 से बदलकर 2024 कर दिया जाएगा (HCES 2023–24 पर आधारित)।
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खाद्य वस्तुओं की वज़न संरचना (weightage) पर पुनर्विचार करेगा, ताकि महंगाई लक्ष्यों (Inflation Targeting) को नए संदर्भों में मूल्यांकन किया जा सके।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब यह बहस चल रही है कि क्या खाद्य वस्तुओं को महंगाई लक्ष्य निर्धारण से बाहर किया जाना चाहिए, क्योंकि इनमें मूल्यवृद्धि आमतौर पर आपूर्ति पक्षीय झटकों (जैसे मौसम, वैश्विक बाजार) के कारण होती है।
मुख्य तथ्य
तत्व | वर्तमान | प्रस्तावित परिवर्तन |
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आधार वर्ष (Base Year) | 2012 | 2024 (प्रथम तिमाही 2026 से लागू) |
CPI वस्तुएँ (Items) | 299 | ~407 (HCES 2023–24 के अनुसार) |
खाद्य एवं पेय पदार्थ वज़न | 54.2% | पुन: संतुलन संभावित |
सेवाओं की संख्या | 40 आइटम्स (23.36%) | बढ़ाई जा सकती है |
माल (Goods) | 259 आइटम्स (76.6%) | नवीनीकरण संभावित |
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HCES 2023–24 ने भारतीय परिवारों में 407 वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय डेटा एकत्र किया।
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इन आँकड़ों के आधार पर एक नई वज़न संरचना तैयार की जा रही है।
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नई टोकरी में आधुनिक उपभोग प्रवृत्तियाँ शामिल होंगी, जैसे:
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डिजिटल सेवाएँ
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हेल्थटेक उत्पाद
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प्रोसेस्ड फूड आदि।
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महंगाई लक्ष्य निर्धारण से खाद्य वस्तुओं को बाहर करने की संभावना
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आर्थिक सर्वेक्षण 2023–24 ने सुझाव दिया कि खाद्य वस्तुओं को महंगाई लक्ष्य से बाहर किया जाए।
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तर्क:
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खाद्य वस्तुओं के दाम जलवायु, आपूर्ति या वैश्विक संकटों से प्रभावित होते हैं।
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मौद्रिक नीतियाँ (जैसे रेपो रेट) इन झटकों पर प्रभावी नहीं होतीं।
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वर्तमान में खाद्य एवं पेय पदार्थों का वज़न CPI में 50% से अधिक है, जिससे CPI मुख्यतः खाद्य महंगाई से प्रभावित होता है।
पृष्ठभूमि और महत्व
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CPI की मूल अवधारणा श्रमिकों के वेतन को जीवन यापन की लागत के अनुसार समायोजित करने के लिए बनाई गई थी।
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आज CPI का उपयोग होता है:
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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की महंगाई लक्ष्य नीति में।
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मौद्रिक एवं वित्तीय नीति निर्धारण में।
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राष्ट्रीय आय मापन और डिफ्लेटर गणना में।
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पिछली बार CPI का संशोधन 2015 में हुआ था, जो 2011–12 के उपभोग सर्वेक्षण (NSS 68वाँ राउंड) पर आधारित था।
यह संशोधन भारत की विकसित होती अर्थव्यवस्था और बदलते उपभोक्ता व्यवहार को अधिक यथार्थ रूप में पकड़ने का प्रयास है, जो आने वाले वर्षों में नीतिगत सटीकता और सामाजिक कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।