भारत ने 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में पांच सौ बिलियन अमरीकी डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा है। नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति) आयोग ने “इलेक्ट्रॉनिक्स: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को नई शक्ति दे रहा है” शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में भारत के लिए 500 बिलियन डॉलर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसे 2030 तक हासिल किया जाएगा।
नीति आयोग के अनुसार भारत की दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र की एक अहम भूमिका होगी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और फ्रांस के बाद भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह रिपोर्ट 18 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुदेश बेरी द्वारा जारी की गई थी।
भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति
नीति आयोग की रिपोर्ट ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की क्षमता का विश्लेषण किया है और $500 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण लक्ष्य को साकार करने के लिए नीतिगत पहलों की एक श्रृंखला का सुझाव दिया।
रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- 2017-18 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में कुल घरेलू उत्पादन 48 बिलियन डॉलर था जो 2022-23 में बढ़कर 101 बिलियन डॉलर हो गया ।
101 बिलियन डॉलर के उत्पादन में से, तैयार माल उत्पादन का योगदान 86 बिलियन डॉलर था, जबकि घटक विनिर्माण का योगदान 15 बिलियन डॉलर था। - कुल इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में मोबाइल फोन का योगदान 43 प्रतिशत है और भारत अपनी 99 प्रतिशत स्मार्टफोन आवश्यकताओं को घरेलू स्तर पर पूरा करता है।
- वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 28.4 प्रतिशत है, जबकि भारत की हिस्सेदारी केवल 3.3 प्रतिशत थी।
- 2022-23 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात लगभग 25 बिलियन डॉलर था, जो वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बाजार के 1 प्रतिशत से भी कम था।
2030 तक का लक्ष्य
नीति आयोग की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यदि भारत का लक्ष्य दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है, तो इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र को एक प्रमुख भूमिका निभानी होगी।
नीति आयोग ने 2030 तक 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का लक्ष्य रखा है। तैयार माल के निर्माण का लक्ष्य 350 बिलियन डॉलर है, जबकि घटकों के निर्माण का लक्ष्य 150 बिलियन डॉलर है। इससे देश में अनुमानित 55 से 60 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बता दें, इससे इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 240 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा।