भारतीय कार्यबल के लिए एक ऐतिहासिक कदम में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ व्यवसाय वर्गीकरण (IRCO) बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग वैश्विक स्तर पर कौशल की तुलना को आसान बनाएगा, सीमा-पार नौकरी मिलान को सरल करेगा और भारतीय श्रमिकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रोज़गार अवसरों को मज़बूत करेगा।
यह समझौता 16 सितंबर 2025 को जेनेवा में भारत के संयुक्त राष्ट्र स्थायी मिशन के राजदूत अरिंदम बागची और ILO महानिदेशक गिल्बर्ट एफ. हौंगबो द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। इस अवसर पर भारत के श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया वर्चुअल रूप से शामिल हुए।
यह MoU क्यों महत्वपूर्ण है?
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यह समझौता वैश्विक श्रम गतिशीलता (labour mobility) को बढ़ावा देगा और भारतीय श्रमिकों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में अपने कौशल की बेहतर पहचान दिलाएगा।
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मानकीकृत व्यवसाय वर्गीकरण से डेटा तुलनात्मकता, कौशल की परस्पर मान्यता और वैश्विक श्रम प्रणालियों में भारतीय श्रमिकों के एकीकरण को सुगम बनाया जाएगा।
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डॉ. मांडविया ने कहा कि यह साझेदारी बदलते वैश्विक परिदृश्य में “काम के भविष्य को आकार देने की साझा प्रतिबद्धता” को दर्शाती है।
घरेलू सुधारों और रोज़गार सृजन को बल
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यह MoU भारत की हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना से भी जुड़ा है, जिसका लक्ष्य दो वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक औपचारिक नौकरियाँ पैदा करना है।
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नेशनल करियर सर्विस (NCS) पोर्टल और ई-श्रम पोर्टल जैसे डिजिटल मंच श्रम डेटा और रोज़गार अवसरों को डिजिटाइज कर रहे हैं।
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डॉ. मांडविया ने भारत और ILO के बीच विशेष सत्र का प्रस्ताव रखा, ताकि अन्य देशों के साथ तकनीकी नवाचार और श्रेष्ठ प्रथाएँ साझा की जा सकें।
ILO का दृष्टिकोण और वैश्विक असर
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ILO महानिदेशक हौंगबो ने भारत की सक्रिय भूमिका का स्वागत किया और कहा कि यह सहयोग अन्य देशों के लिए भी कौशल गतिशीलता और श्रमिक सुरक्षा प्रणालियों को मज़बूत करने में मददगार होगा।
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भारत की तकनीक-आधारित नीतियों और सामाजिक सुरक्षा प्रयासों की सराहना की गई।
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श्रम एवं रोजगार सचिव वंदना गुर्नानी ने बताया कि यह MoU उभरते क्षेत्रों जैसे हरित अर्थव्यवस्था, डिजिटल तकनीक और देखभाल कार्य (care work) में पायलट परियोजनाओं और व्यवहार्यता अध्ययनों के द्वार खोलेगा।
मुख्य बिंदु
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दिनांक: 16 सितंबर 2025
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कहाँ: जेनेवा
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साझेदारी: भारत और ILO
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उद्देश्य: IRCO का विकास, वैश्विक कौशल तुलनात्मकता और भारतीय श्रमिकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रोज़गार अवसरों का विस्तार


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