अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत और रूस ने विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मज़बूत करने के लिए एक औपचारिक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। राष्ट्रीय राजधानी स्थित वाणिज्य भवन में आयोजित आधुनिकीकरण और औद्योगिक सहयोग पर भारत-रूस कार्य समूह के 11वें सत्र के दौरान यह समझौता हुआ।
बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया और रूस के उद्योग एवं व्यापार उपमंत्री अलेक्सी ग्रुज़देव ने की। यह सत्र भारत-रूस व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग के तहत आयोजित किया गया। इसमें दोनों देशों के 80 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, उद्योग विशेषज्ञ और कॉर्पोरेट क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल थे।
दोनों पक्षों ने 10वीं कार्यकारी समूह की बैठक के बाद हुई प्रगति की समीक्षा की और विभिन्न क्षेत्रों में नए सहयोग के अवसरों पर चर्चा की, जिनमें शामिल हैं—
एल्यूमिनियम उत्पादन और प्रसंस्करण
उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला और तकनीक
रेलवे अवसंरचना और आधुनिक परिवहन प्रणाली
खनन एवं संसाधन निष्कर्षण तकनीक
उभरते क्षेत्र जैसे एयरोस्पेस तकनीक, कार्बन फाइबर विकास, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग और 3डी प्रिंटिंग
विशेष रूप से, चर्चाओं में छोटे विमान के पिस्टन इंजन का संयुक्त विकास, विंड टनल परीक्षण सुविधा की स्थापना और दुर्लभ व महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण में सहयोग भी शामिल था। भारत और रूस ने भूमिगत कोयला गैसीकरण को ऊर्जा उत्पादन में स्वच्छ विकल्प के रूप में अपनाने की संभावनाओं पर भी विचार किया।
वाणिज्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा— “चर्चाओं ने उभरती तकनीकों और विनिर्माण में एक-दूसरे की ताकतों का लाभ उठाकर औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने की हमारी साझा दृष्टि को मजबूत किया।”
सत्र के अंत में हस्ताक्षरित प्रोटोकॉल ने इन साझा लक्ष्यों को औपचारिक रूप दिया और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, नवाचार तथा रणनीतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय निवेश के लिए ढांचा मजबूत किया।
यह सत्र और हस्ताक्षरित प्रोटोकॉल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को विविध और गहरा करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं, खासकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव और बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में। जिन सहयोगी परियोजनाओं पर चर्चा हुई, वे भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के लक्ष्य और रूस के तकनीकी आधुनिकीकरण के फोकस के अनुरूप हैं।
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