ताइवान को लेकर काफी संभलकर बयान देने वाले भारत ने पहली बार ताइवान जलडमरूमध्य को लेकर दुर्लभ बयान दिया है। भारत ने पहली बार इसे “ताइवान जलडमरूमध्य का सैन्यीकरण” कहा है, जो नई दिल्ली द्वारा ताइवान के प्रति चीन की कार्रवाइयों पर टिप्पणी करने का एक दुर्लभ उदाहरण है।
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अमेरिका की यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद भी भारत की तरफ से चीनी आक्रामकता को लेकर संतुलित बयान दिए गये थे और भारत ने शांति और संयम बरतने का ही आह्वान किया था, लेकिन श्रीलंका के कोलंबो में चीनी जासूसी जहाज के ठहरने के बाद भारत की तरफ से पहली बार इस तरह का बयान दिया गया है।
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने बयान जारी किया है, उसमें पहली बार भारत का बयान काफी स्पष्ट, सटीक है। इससे पहले भारत की तरफ से 12 अगस्त को भी ताइवान संकट पर बयान जारी किया गया था, लेकिन वो बयान काफी ज्यादा डिप्लोमेटिक था और माना गया, कि भारत अभी भी संतुलित रूख ही अपना रहा है। लेकिन, इस बार भारत ने ताइवान स्ट्रेट में तनाव को ‘चीन का सैन्यीकरण’ कहा है, जो भारत के बदलते माइंडसेट को बता रहा है।
आपको बता दें कि, इस महीने की शुरुआत में G7 के विदेश मंत्रियों, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका है, उसने ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की सैन्य गतिविधि के बारे में चिंता व्यक्त की थी और चीन द्वारा ‘धमकी देने वाली कार्रवाई’ का जिक्र करते हुए कहा था, कि इस सैन्य आक्रामकता का ‘कोई औचित्य नहीं था।
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