भारत में पिछले 6 सालों में हुए ₹12 हजार लाख करोड़ से अधिक के डिजिटल लेनदेन

पिछले छह वर्षों में भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकार के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2025 के बीच देश में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल भुगतान लेनदेन दर्ज किए गए, जिनका कुल मूल्य ₹12,000 ट्रिलियन (लाख करोड़) से अधिक रहा।इस तेज़ वृद्धि का मुख्य कारण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और सरकार द्वारा शुरू की गई लक्षित नीतियां हैं। इन पहलों ने वित्तीय समावेशन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया है, जिससे छोटे शहरों, गांवों और वंचित समुदायों तक डिजिटल भुगतान की पहुंच सुनिश्चित हो पाई है।

डिजिटल लेनदेन का विस्तार और प्रभाव

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि डिजिटल लेनदेन अब महानगरों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने दूर-दराज़ के क्षेत्रों और लाखों छोटे दुकानदारों व ग्रामीण उपयोगकर्ताओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा है।

  • वित्त वर्ष 2019 से 2025 के बीच 65,000 करोड़ डिजिटल लेनदेन दर्ज हुए।

  • इनका कुल मूल्य ₹12,000 ट्रिलियन रहा।

  • इससे नकदी पर निर्भरता घटी और भारत की औपचारिक वित्तीय व्यवस्था सशक्त हुई।

सरकारी और संस्थागत प्रयास

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों की सामूहिक भूमिका रही है।

पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (PIDF)

  • RBI द्वारा 2021 में शुरू किया गया, विशेष रूप से छोटे शहरों, पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर और दूरदराज़ इलाकों में डिजिटल भुगतान अवसंरचना को बढ़ावा देने हेतु।

  • 31 मई 2025 तक, देशभर में 4.77 करोड़ डिजिटल टच-प्वाइंट स्थापित किए गए।

RBI का डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स (DPI)

  • मार्च 2018 को आधार मानकर शुरू किया गया (इंडेक्स = 100)।

  • सितंबर 2024 तक यह इंडेक्स 465.33 तक पहुंच गया, जो देश में डिजिटल भुगतान की प्रगति को दर्शाता है।

MSME और छोटे व्यापारियों को समर्थन

सरकार, RBI और NPCI ने छोटे व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को डिजिटल भुगतान अपनाने में सहायता के लिए कई पहलें शुरू कीं:

  • छोटे व्यापारियों में कम मूल्य के BHIM-UPI लेनदेन पर प्रोत्साहन योजनाएं

  • TReDS दिशानिर्देश, जिससे MSMEs अपने चालान प्रतिस्पर्धी दरों पर छूटवा सकें

  • डेबिट कार्ड लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का युक्तिकरण, जिससे छोटे व्यापारियों की लागत कम हुई

वित्तीय समावेशन पर प्रभाव

डिजिटल भुगतान ने विशेष रूप से वंचित और दूरस्थ समुदायों के लिए वित्तीय पहुंच को पूरी तरह से बदल दिया है:

  • UPI जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से व्यक्ति और छोटे व्यवसाय अब आसान, पारदर्शी और विश्वसनीय लेनदेन कर पा रहे हैं।

  • डिजिटल लेनदेन इतिहास के ज़रिए बैंकों को वैकल्पिक डेटा मिल रहा है, जिससे बिना पारंपरिक दस्तावेज़ों वाले ग्राहकों को भी ऋण की पहुंच संभव हो रही है।

  • यह सब भारत को एक समावेशी और सशक्त डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की ओर ले जा रहा है।

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

जम्मू-कश्मीर को अपना पहला Gen Z पोस्ट ऑफिस मिला

जम्मू-कश्मीर ने सार्वजनिक सेवाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।…

47 mins ago

मिची बेंटहॉस अंतरिक्ष में जाने वाली पहली व्हीलचेयर यूज़र बनकर इतिहास रचेंगी

जर्मन एयरोस्पेस इंजीनियर मिची बेंटहॉस अंतरिक्ष यात्रा करने वाली पहली व्हीलचेयर उपयोगकर्ता व्यक्ति बनने जा…

4 hours ago

अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस 2025: इतिहास और महत्व

अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस 2025 हर वर्ष 20 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिवस…

7 hours ago

भारतीय टीम ने नासा स्पेस ऐप्स चैलेंज में ग्लोबल टॉप सम्मान हासिल किया

भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिली है। NASA इंटरनेशनल…

7 hours ago

Hurun India 2025: सेल्फ-मेड अरबपतियों में दीपिंदर गोयल नंबर वन

हुरुन रिच लिस्ट 2025 ने एक बार फिर भारत के तेज़ी से बदलते स्टार्टअप और…

8 hours ago

SEBI ने छोटे मूल्य में जीरो-कूपन बॉन्ड जारी करने की दी अनुमति

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शून्य-कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds) को अब ₹10,000 के…

22 hours ago