भारत ने वैश्विक स्तर पर 6G तकनीकों के लिए पेटेंट दाखिल करने वाले शीर्ष छह देशों में स्थान हासिल किया है, यह घोषणा केंद्रीय संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने की। वे 14 मई 2025 को नई दिल्ली में आयोजित “भारत 6G 2025 – तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी” को संबोधित कर रहे थे। मंत्री ने भारत की मजबूत शोध प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय सहयोगों को 6G में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक प्रमुख कदम बताया।
क्यों हैं ख़बरों में?
भारत का 6G पेटेंट फाइलिंग में शीर्ष छह देशों में आना यह दर्शाता है कि भारत अब उन्नत टेलीकॉम नवाचार में एक उभरती हुई शक्ति बन चुका है। यह “भारत 6G विज़न” के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 6G में वैश्विक नेतृत्व हासिल करना है।
उद्देश्य एवं दृष्टिकोण
भारत 6G विज़न
-
लक्ष्य: 2030 तक भारत को 6G का वैश्विक अग्रणी बनाना
-
माध्यम: भारत 6G अलायंस के ज़रिए गहन अनुसंधान एवं नवाचार में निवेश
प्रौद्योगिकीय लक्ष्य
-
टेराबिट-स्तरीय स्पीड
-
सब-मिलीसेकंड लेटेंसी
-
स्व-उपचारक (Self-healing) बुद्धिमान नेटवर्क
-
समग्र कनेक्टिविटी – जलमग्न क्षेत्रों से लेकर अंतरिक्ष तक
प्रमुख विकास
-
अनुसंधान परियोजनाएँ: 111+ प्रोजेक्ट्स को ₹300 करोड़ का वित्त पोषण
-
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: जापान, सिंगापुर और फिनलैंड जैसे देशों के साथ साझेदारी
-
तकनीकी नवाचार: टेराहर्ट्ज़ संचार और AI-आधारित नेटवर्क पर विशेष ध्यान
पृष्ठभूमि
-
भारत में 5G की तेज़ी से तैनाती ने मजबूत नेटवर्क अवसंरचना की नींव रखी
-
अब भारत का लक्ष्य 6G मानकों, पेटेंट और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव डालना है
महत्व
-
भारत को टेलीकॉम नवाचार केंद्र के रूप में प्रस्तुत करता है
-
वैश्विक टेलीकॉम मानक निर्धारण निकायों में भारत की भूमिका मज़बूत होती है
-
डीप-टेक, सेमीकंडक्टर्स और संचार अनुसंधान में घरेलू क्षमताओं को बढ़ाता है