पशु स्वास्थ्य सेवा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय दिशानिर्देश (National Guidelines) जारी किए हैं जो पशु रक्त आधान सेवाओं (Veterinary Blood Transfusion Services) से संबंधित हैं। यह पहल आपातकालीन परिस्थितियों में पशुओं की देखभाल के लिए लंबे समय से चली आ रही कमी को दूर करती है। 25 अगस्त 2025 को पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जारी इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य है – पशु कल्याण, जैव-सुरक्षा (Biosafety) और वन हेल्थ (One Health) दृष्टिकोण को मजबूत करना।
दिशानिर्देशों की आवश्यकता क्यों पड़ी
अब तक भारत में अधिकतर पशु रक्त आधान आपातकालीन हालात में बिना मानकीकृत प्रोटोकॉल के किए जाते थे। मुख्य समस्याएँ थीं –
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दाता (Donor) की नियमित स्क्रीनिंग या स्वास्थ्य सत्यापन का अभाव
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रक्त समूह जाँच (Blood Typing) और क्रॉस-मैचिंग का अभाव
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जैव-सुरक्षा उपायों की कमी
इन खामियों के कारण कई बार ट्रॉमा, एनीमिया, सर्जरी से संबंधित रक्त हानि या संक्रामक बीमारियों के इलाज में रक्त आधान अप्रभावी साबित होते थे और दुष्प्रभाव भी सामने आते थे।
नए ढाँचे की प्रमुख प्रावधान
1. वैज्ञानिक और नैतिक रक्त संग्रह
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रक्त समूह जाँच एवं क्रॉस-मैचिंग अनिवार्य होगी।
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दाता पात्रता के लिए स्वास्थ्य जाँच और टीकाकरण की शर्तें तय होंगी।
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स्वैच्छिक दान मॉडल अपनाया जाएगा, जिसे Donor Rights Charter द्वारा समर्थित किया जाएगा ताकि सूचित सहमति और नैतिक मानदंड सुनिश्चित हो सकें।
2. अवसंरचना एवं नियमन
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प्रत्येक राज्य को जैव-सुरक्षा मानकों के अनुरूप पशु रक्त बैंक स्थापित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
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सुविधाओं को स्वच्छता और नियामक मानकों का पालन करना होगा, जिससे संग्रह और भंडारण सुरक्षित रहे।
3. वन हेल्थ (One Health) एकीकरण
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ढाँचा इस दृष्टिकोण से जुड़ा है कि मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं।
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इससे ज़ूनोटिक रोगों (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोग) के जोखिम प्रबंधन और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा में मदद मिलेगी।
प्रौद्योगिकी और नवाचार
राष्ट्रीय पशु रक्त बैंक नेटवर्क
इस डिजिटल नेटवर्क में शामिल होंगे –
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डोनर रजिस्ट्रियाँ
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रीयल-टाइम इन्वेंटरी ट्रैकिंग
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पशु चिकित्सकों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन
भविष्य की संभावनाएँ
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ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच के लिए मोबाइल ब्लड कलेक्शन यूनिट्स
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दुर्लभ रक्त समूहों का संरक्षण
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मोबाइल ऐप्स जो दाता और रिसीवर का मिलान कर सकें
शिक्षा और क्षमता निर्माण
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नए प्रशिक्षण मॉड्यूल पशु चिकित्सा पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाएँगे।
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इससे भविष्य के पशु चिकित्सकों में तकनीकी कौशल, जागरूकता और नैतिकता का विकास होगा।
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दीर्घकालिक रूप से दिशानिर्देशों की स्थायी सफलता सुनिश्चित होगी।
क्षेत्रीय प्रभाव और आर्थिक महत्व
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भारत में 537 मिलियन से अधिक पशुधन और 125 मिलियन से अधिक पालतू पशु हैं।
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यह क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय GDP में 5.5% और कृषि GDP में 30% से अधिक का योगदान देता है।
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आपातकालीन देखभाल और रोग प्रबंधन की सुविधा से ग्रामीण आजीविका मजबूत होगी, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी और पशु स्वास्थ्य को बल मिलेगा – जो भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


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