भारतीय वायु सेना ने अपने नवीनतम हेरॉन मार्क 2 ड्रोन को शामिल किया है, जिसमें स्ट्राइक क्षमता है और एक ही उड़ान में चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ सीमाओं पर निगरानी कर सकता है। चार नए हेरॉन मार्क -2 ड्रोन, जो लॉन्ग-रेंज मिसाइलों और अन्य हथियार प्रणालियों से लैस हो सकते हैं, को उत्तरी क्षेत्र में एक अग्रिम हवाई अड्डे पर तैनात किया गया है।
हेरॉन मार्क -2 का शामिल होना भारतीय वायुसेना की निगरानी क्षमताओं के लिए एक बड़ा बढ़ावा है। ड्रोन का उपयोग विभिन्न मिशनों के लिए किया जाएगा, जिसमें खुफिया जानकारी एकत्र करना, सीमा गश्त और आतंकवाद विरोधी अभियान शामिल हैं। इसका उपयोग भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों का समर्थन करने के लिए भी किया जाएगा, जो उन्हें वास्तविक समय इमेजरी और लक्ष्यीकरण डेटा प्रदान करेगा।
हेरॉन मार्क-2 हेरॉन मार्क-1 का उन्नत संस्करण है, जो 2009 से भारतीय वायुसेना के साथ सेवा में है। नए ड्रोन में एक लंबी दूरी और स्थिरता है, और यह अधिक उन्नत सेंसर से लैस है।
हेरॉन मार्क-2 एक मध्य-ऊचायी दीर्घ-स्थायी (MALE) ड्रोन है, जिसकी अधिकतम दूरी 3,000 किलोमीटर और स्थायिता 24 घंटे है। इसमें विभिन्न प्रकार के सेंसर्स स्थापित हैं, जिनमें सिंथेटिक एपर्चर रेडार (SAR), इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR) कैमरा, और लेजर डिज़ाइनेटर शामिल हैं। SAR का उपयोग सभी मौसम परिस्थितियों, दिन या रात्रि में लक्ष्यों की छवियाँ बनाने के लिए किया जा सकता है, जबकि EO/IR कैमरा लक्ष्यों की पहचान और ट्रैकिंग के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। लेजर डिज़ाइनेटर का उपयोग सटीक हमलों के लक्ष्यों को निर्दिष्ट करने के लिए किया जा सकता है।
हेरॉन मार्क -2 एक डेटालिंक से भी लैस है जो इसे वास्तविक समय इमेजरी और डेटा को ग्राउंड कंट्रोल स्टेशनों तक पहुंचाने की अनुमति देता है। यह भारतीय वायुसेना को युद्ध क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बढ़त देता है, क्योंकि यह अब वास्तविक समय में दुश्मन बलों को ट्रैक और लक्षित कर सकता है।
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