भारतीय नौसेना विशाखापट्टनम में अब तक के सबसे बड़े बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास ‘मिलन-2024’ का आयोजन कर रही है। 16 से 27 फरवरी तक चलने वाले अभ्यास में 50 देशों की नौसेनाएं भाग लेंगी। नौसेना अभ्यास का 12वां संस्करण दो प्राथमिक चरणों में आयोजित होगा, पहला- बंदरगाह में तो दूसरा समुद्र में।
भारतीय नौसेना ने पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) की मेजबानी में एक ऑपरेशनल डेमो रिहर्सल आयोजित किया। इस दौरान नौसेना के लड़ाकू विमानों ने आसमान से गोले बरसाए। इस कार्रवाई ने दुनिया के सामने भारतीय नौसेना का लाोहा मनवा दिया।
अभ्यास का बंदरगाह चरण 19 से 23 फरवरी तक है। विभिन्न जटिल अभ्यास और युद्धाभ्यास वाला समुद्री चरण 24 से 27 फरवरी तक होगा। बंदरगाह चरण में उद्घाटन समारोह, अंतरराष्ट्रीय सिटी परेड, अंतरराष्ट्रीय समुद्री सेमिनार, मिलान टेक एक्सपो और टेबल टॉप अभ्यास सहित अन्य शामिल हैं। समुद्री चरण के दौरान नौसेनाएं उन्नत वायु रक्षा, पनडुब्बी रोधी और सतह रोधी युद्ध अभ्यास करेंगी। हवाई और सतही लक्ष्यों पर गनरी शूट, युद्धाभ्यास भी होगा।
नौ दिवसीय यह अभ्यास लाल सागर में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं समेत अस्थिर भू-राजनीतिक माहौल के बीच हो रहा है। 27 फरवरी तक चलने वाले मिलन अभ्यास के 12वें संस्करण में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलयेशिया समेत अन्य देशों की नौसेनाएं हिस्सा ले रही हैं।
इसका मकसद समान विचारधारा वाले देशों के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ावा देना है। यह अभ्यास मित्र देशों से 15 युद्धपोतों और एक समुद्री गश्ती विमान के आगमन के साथ सोमवार को शुरू हुआ। भारतीय नौसेना से विमानवाहक पोत विक्रांत और विक्रमादित्य समेत करीब 20 पोत और मिग 29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और पी-8आई लंबी दूरी के समुद्री टोही और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान सहित लगभग 50 विमान अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
मिलन एक द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास है जो भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति के अनुरूप इंडोनेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड की भागीदारी के साथ 1995 में शुरू हुआ था।
'संयुक्त नौसैनिक अभ्यास' को मोटे तौर पर दो या दो से अधिक देशों की नौसेना या समुद्री इकाइयों के बीच आयोजित एक संरचित, नियोजित सैन्य अभ्यास के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका अंतिम लक्ष्य आम तौर पर इसमें शामिल पक्षों की क्षमताओं, ज्ञान, अंतरसंचालनीयता और मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करना है।
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