भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री जहाज ने 10 – 11 मार्च 2023 को अरब सागर में फ्रांस की नौसेना (एफएन) के युद्धपोतों मिस्ट्रल क्लास एम्फीबियस असॉल्ट शिप के एफएस डिक्सम्यूइड और ला फेयेट श्रेणी के पोत फ्रिगेट एफएस ला फेयेट के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (एमपीएक्स) में भाग लिया। दो दिन तक चले इस समुद्री साझेदारी अभ्यास में कई स्वदेशी गाइडेड मिसाइल्स समेत फ्रांस निर्मित हथियारों का प्रयोग किया गया।
इस अभ्यास में समुद्री सुरक्षा में विकास को लेकर एक व्यापक प्रगति देखी गई, जिसमें क्रॉस-डेक लैंडिंग, बोर्डिंग अभ्यास और सीमैनशिप डेवलपमेंट शामिल थे। संयुक्त अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच बीच पारस्परिकता और उच्च स्तर के सहयोग के साथ गाइडेट मिसाइल्स (Guided Missile) के सफल संचालन की सफर एक्सरसाइज की गई।
Indian Navy’s indigenously built guided missile frigate, INS Sahyadri participated in Maritime Partnership Exercise (MPX) with French Navy ships FS Dixmude, a Mistral Class Amphibious Assault Ship & FS La Fayette, a La Fayette Class Frigate, in the Arabian Sea on 10th– 11th… https://t.co/dfn0AShBBZ pic.twitter.com/4L0DCvaqMm
— ANI (@ANI) March 12, 2023
मुख्य बिंदु
- इस अभ्यास में भारतीय नौसेना की स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, INS सह्याद्री, फ्रांसीसी नौसेना के जहाजों FS Dixmude, एक मिस्ट्रल क्लास एम्फिबियस असॉल्ट शिप, और FS La Fayette के साथ ला फेयेट क्लास फ्रिगेट का अरब सागर में एक समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX) किया गया।
- इस अभ्यास में समुद्र में विकास का एक व्यापक सहयोग दिखा, जिसमें क्रॉस-डेक लैंडिंग, बोर्डिंग अभ्यास और सीमैनशिप विकास की कमियों को दूर किया गया। अभ्यास के दौरान मिसाइल के सफल प्रक्षेपण की जानकारी दी गई।
- बता दें कि गाइडेड मिसाइल आईएनएस सह्याद्री अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है। ये हवा, सतह और सतह के नजगीक खतरों को भांप लेती है और उन्हें समय से मुंहतोड़ जबवा दजेती है।
- यह जहाज FOCinC (East) के नियंत्रण में है और विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का एक हिस्सा भी है।
आईएनएस सह्याद्री के बारे में जानें:
आईएनएस सह्याद्री भारतीय नौसेना का एक स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट पोत है। यह पोत अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है। इसके जरिए हवा, सतह और उप-सतह के खतरों का पता लगाना बेहद आसान है, साथ ही पोत उन खतरों को बेअसर करने में भी सक्षम है।