भारत और सऊदी अरब ने रियाद में विद्युतीय अंतर-संयोजन, हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह और सऊदी अरब सरकार के ऊर्जा मंत्री अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान अल-सऊद ने हस्ताक्षर किए। आर.के. सिंह एमईएनए जलवायु सप्ताह में भाग लेने के लिए रियाद की यात्रा पर हैं।
इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विद्युत अंतर-संयोजन के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग; अत्यधिक मांग की अवधि और आपात स्थिति के दौरान बिजली का आदान-प्रदान; परियोजनाओं का सह-विकास; हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा का सह-उत्पादन; और हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की सुरक्षित, विश्वसनीय और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए एक सामान्य रूपरेखा स्थापित करना है।
दोनों ऊर्जा मंत्रियों के बीच यह भी निर्णय लिया गया कि ऊर्जा क्षेत्र सहयोग के उपर्युक्त क्षेत्रों में सम्पूर्ण आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला स्थापित करने के लिए दोनों देशों के बीच बी2बी व्यापार शिखर सम्मेलन और नियमित बी2बी संवाद आयोजित किये जायेंगे।
इससे पहले, भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल सिंह ने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) जलवायु सप्ताह 2023, जो 8 – 12 अक्टूबर, 2023 के दौरान रियाद, सऊदी अरब में आयोजित किया जा रहा है, के उच्च-स्तरीय खंड में भाग लिया। एमईएनए जलवायु सप्ताह 2023 सीओपी28 से पहले जलवायु समाधानों पर चर्चा करेगा। इसकी मेजबानी सऊदी अरब सरकार द्वारा की जा रही है। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम, वैश्विक स्टॉक आकलन और पेरिस समझौते के संदर्भ में जलवायु कार्रवाई के आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा पहलुओं सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए हितधारकों के विविध समूह को एक मंच पर लाता है। यह अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने और इस महत्वपूर्ण दशक के शेष समय के लिए महत्वाकांक्षी जलवायु रणनीतियों को विकसित करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करता है।
केन्द्रीय मंत्री ने वैश्विक समुदाय से कहा कि भारत आज ऊर्जा के परिदृश्य में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आवाजों में से एक है और वह ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव करने वाले एक अग्रणी देश के रूप में उभरा है। “दुनिया की कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा रखने वाला देश एवं दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, भारत वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
मंत्री सिंह ने MENA देशों को हाल ही में लॉन्च किए गए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया। 9 सितंबर को नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान उद्घाटन किए गए इस गठबंधन में 19 देश और 12 अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं, जिनमें भारत, ब्राजील और अमेरिका संस्थापक सदस्य हैं। इसका मिशन सतत जैव ईंधन विकास और तैनाती में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
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