भारत ने पाकिस्तान से 631 भारतीय मछुआरों और दो असैन्य कैदियों को रिहा करने तथा स्वदेश भेजने के लिए कहा है। विदेश मंत्रालय ने इसके बारे में जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, जिन मछुआरों को छोड़ने के लिए पाकिस्तान से आह्वान किया गया है उनमें वे मछुआरे शामिल हैं जो अपनी जेल की सजा पूरी कर चुके हैं। साथ ही जिनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि भी हो चुकी है। वहीं, दूसरी ओर 31 दिसंबर 2022 को एक पूर्व समझौते के तहत भारत-पाकिस्तान ने अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची आपस में साझा की है।
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परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमलों के निषेध पर समझौता
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश हैं और दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमलों के निषेध पर एक समझौते पर 31 दिसंबर 1998 को दोनों के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत दोनों देशों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की पहली जनवरी को एक दूसरे को परमाणु सुविधाओं की जानकारी देनी होती है।
यह समझौता 27 जनवरी 1991 को लागू हुआ। दोनों देशों के बीच इस तरह की सूचियों का यह लगातार 32वां आदान-प्रदान है। पहला 01 जनवरी 1992 को हुआ था। “परमाणु स्थापना या सुविधा” में परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान रिएक्टर, ईंधन निर्माण, यूरेनियम संवर्धन, आइसोटोप पृथक्करण और पुनर्संसाधन सुविधाएं, और किसी भी रूप में ताजा या विकिरणित परमाणु ईंधन और सामग्री के साथ कोई अन्य प्रतिष्ठान और महत्वपूर्ण मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री का भंडारण करने वाले प्रतिष्ठान शामिल हैं।
कैदियों की सूची का आदान-प्रदान
इस दिन दोनों देश एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का आदान-प्रदान भी करते हैं, जिसमें नागरिक, रक्षा कर्मी और मछुआरे शामिल हैं। पाकिस्तान ने हिरासत में लिए गए 705 भारतीयों, 51 नागरिकों और 654 मछुआरों की सूची साझा की। भारत ने अपनी हिरासत में 434 पाकिस्तानियों, 339 नागरिकों और 95 मछुआरों की सूची साझा की।
साल 2008 का समझौता प्रत्येक पक्ष को कैदियों तक कांसुलर एक्सेस देता है और उन्हें प्रत्येक जनवरी और जुलाई में एक-दूसरे की हिरासत में कैदियों की सूची का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता होती है। विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत-पाकिस्तान ने अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची आपस में साझा की है। ये कार्रवाई 32 साल पहले हुए एक द्विपक्षी करार के तहत की गई।